Moasharay Ki Islah

Book Name:Moasharay Ki Islah

बुज़ुर्गाने दीन और इस्लाह़े मुआ़शरा

          आ़शिक़ाने रसूल ! कोशिश कीजिए और ह़क़ पर होने के बा वुजूद झगड़ा छोड़ दीजिए, इसी में भलाई है यक़ीनन ह़क़ पर होने के बा वुजूद झगड़ा छोड़ देना बहुत अच्छा और हिम्मत का काम है लेकिन येही वोह त़रीक़ा है जो मुआ़शरे में लड़ाई, झगड़े के बढ़ते हुवे रुजह़ान को ख़त्म कर सकता है हमारे बुज़ुर्गों का येह मामूल रहा है कि उन के साथ कैसा भी बुरा सुलूक किया जाए, वोह मुआ़फ़ कर दिया करते और कोई बदला नहीं लेते, लोग उन के ह़ुक़ूक़ दबा लेते हैं लेकिन येह ह़ज़रात लोगों के ह़ुक़ूक़ (Rights) की अदाएगी से कभी ग़ाफ़िल नहीं होते, नादान लोग इन्हें त़रह़ त़रह़ की तक्लीफे़ं देते हैं लेकिन येह ह़ज़रात उन्हें इंर्ट का जवाब पथ्थर से देने और नफ़्स की ख़ात़िर ग़ुस्सा करने के बजाए दुआ़ओं से नवाज़ते और मुआ़फ़ी अ़त़ा कर के सवाब का ख़ज़ाना लूटते हैं इस त़रह़ जहां इन्हें मुआ़फ़ कर देने का सवाब पाने का मौक़अ़ मिलता है, वहीं मुआ़शरे में भी अमनो सुकून की फ़ज़ा फलती फूलती है आइए ! तरग़ीब के लिए एक ईमान अफ़रोज़ वाक़िआ़ सुनते हैं चुनान्चे,

मुआ़फ़ करना क़ुदरत के बाद ही होता है !

          ह़ज़रते मामर बिन राशिद رَحْمَۃُ اللّٰہ عَلَیْہ बयान करते हैं : एक शख़्स ने ह़ज़रते क़तादा बिन दिआ़मा رَحْمَۃُ اللّٰہ عَلَیْہ के साह़िबज़ादे को ज़ोरदार थप्पड़ मारा आप رَحْمَۃُ اللّٰہ عَلَیْہ ने बेटे से फ़रमाया : तुम भी उसी त़रह़ इसे थप्पड़ मारो जिस त़रह़ इस ने तुम्हें मारा और फ़रमाया : बेटा ! आस्तीनें ऊपर कर लो और हाथ बुलन्द कर के ज़ोरदार थप्पड़ मारो चुनान्चे, बेटे ने आस्तीनें ऊपर कीं और थप्पड़ मारने के लिए हाथ बुलन्द किया, तो आप رَحْمَۃُ اللّٰہ عَلَیْہ ने उस का हाथ पकड़ लिया और फ़रमाया : हम ने रिज़ाए इलाही के लिए इसे मुआ़फ़ किया क्यूंकि कहा जाता है कि मुआ़फ़ करना क़ुदरत के बाद ही होता है (अल्लाह वालों की बातें, 2 / 519)

صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!       صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد

अमीरे अहले सुन्नत دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ और मुआ़शरे की इस्लाह़

          ऐ आ़शिक़ाने रसूल ! बुज़ुर्गाने दीन رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہِمْ اَجْمَعِیْن का मुआ़फ़ी और मुआ़शरे की इस्लाह़ का जज़्बा मरह़बा ! اَلْحَمْدُ لِلّٰہ ! बुज़ुर्गाने दीन رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہِمْ اَجْمَعِیْن की सोह़बत से तरबियत याफ़्ता अमीरे अहले सुन्नत, ह़ज़रते अ़ल्लामा मौलाना मुह़म्मद इल्यास अ़त़्त़ार क़ादिरी دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ भी मुआ़शरे की इस्लाह़ करने के मुआ़मले में बेह़द मुतह़र्रिक (Active) हैं । आप دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ इस्लाह़े मुआ़शरा के लिए कई अहम कामों