Book Name:Moasharay Ki Islah
बचने ही में आ़फ़िय्यत है । जैसा कि ह़ज़रते बिलाल बिन साद رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہ फ़रमाते हैं : गुनाह के छोटा होने को न देखो बल्कि येह देखो कि तुम किस की ना फ़रमानी कर रहे हो । (الزواجر،مقدمة فی تعریف الکبیرة،خاتمة فی التحذیر… الخ، ۱/۲۷)
बन्दे को इतना इ़ल्म होना तो ज़रूरी है कि वोह ज़ाहिरी व बात़िनी गुनाहों को जान सके, ज़ाहिरी व बात़िनी गुनाहों की ज़रूरी मालूमात होना भी फ़राइज़ व लाज़िम उ़लूम में से है, दीगर लाज़िम उ़लूम की त़रह़ इन की मालूमात होना भी ज़रूरी है । मज़ीद अगर गुनाह का इरादा करते वक़्त इन्सान येह सोच ले कि मैं जिस रब्बे करीम की ना फ़रमानी कर रहा हूं वोह तो मुझे हर वक़्त, हर ह़ाल में देख रहा है, तो اِنْ شَآءَ اللّٰہ इस त़रह़ काफ़ी ह़द तक गुनाहों से छुटकारा नसीब हो जाएगा । गुनाहों से नफ़रत करने और छुटकारा पाने का एक बेहतरीन ज़रीआ़ किसी अच्छे माह़ोल से वाबस्ता हो जाना भी है । اَلْحَمْدُ لِلّٰہ ! आज के इस नाज़ुक दौर में आ़शिक़ाने रसूल की मदनी तह़रीक दावते इस्लामी का मदनी माह़ोल अल्लाह पाक की अ़ज़ीम नेमत है, आप भी इस मदनी माह़ोल से हर दम वाबस्ता रहिए, اِنْ شَآءَ اللّٰہ दुन्या व आख़िरत की भलाइयां ह़ासिल होंगी ।
صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب! صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد
12 मदनी कामों में से एक मदनी काम "मस्जिद दर्स"
प्यारे प्यारे इस्लामी भाइयो ! आ़शिक़ाने रसूल की मदनी तह़रीक दावते इस्लामी के मदनी माह़ोल से हर दम वाबस्ता रेहते हुवे और अपनी मसरूफ़िय्यात में से कुछ वक़्त निकाल कर ज़ैली ह़ल्क़े के 12 मदनी कामों में भरपूर ह़िस्सा लीजिए । याद रहे ! ज़ैली ह़ल्के़ के 12 मदनी कामों में से रोज़ाना का एक मदनी काम "मस्जिद दर्स" भी है, जो इ़ल्मे दीन सीखने, सिखाने का मुअस्सिर तरीन ज़रीआ़ है ।
٭ मस्जिद दर्स बहुत ही प्यारा मदनी काम है कि इस की बरकत से मस्जिद की ह़ाज़िरी की बार बार सआ़दत ह़ासिल होती है । ٭ मस्जिद दर्स की बरकत से मुत़ालए़ का मौक़अ़ मिलता है । ٭ मस्जिद दर्स की बरकत से मुसलमानों से मुलाक़ात व सलाम की सुन्नत आ़म होती है । ٭ मस्जिद दर्स की बरकत से अमीरे अहले सुन्नत के मुख़्तलिफ़ मौज़ूआ़त पर मुश्तमिल कुतुबो रसाइल से इ़ल्मे दीन से मालामाल क़ीमती मदनी फूल उम्मते मुस्लिमा तक पहुंचाए जा सकते हैं । ٭ मस्जिद दर्स, बे नमाज़ियों को नमाज़ी बनाने में बहुत मुआ़विन व मददगार है ।