Moasharay Ki Islah

Book Name:Moasharay Ki Islah

अ़मली त़ौर पर दावते इस्लामी के मदनी कामों में शिर्कत की सआ़दत ह़ासिल करते रहिए, आ़शिक़ाने रसूल के क़ाफ़िलों में सुन्नतों की तरबियत के लिए राहे ख़ुदा में सफ़र इख़्तियार कीजिए, कामयाब ज़िन्दगी गुज़ारने और अपनी आख़िरत संवारने के लिए रोज़ाना ग़ौरो फ़िक्र करते हुवे मदनी इनआ़मात का रिसाला पुर कर के अपने यहां के ज़िम्मेदार को हर इस्लामी माह की पेहली तारीख़ को ही जम्अ़ करवाने का मामूल बना लीजिए, हफ़्तावार सुन्नतों भरे इजतिमाअ़, हफ़्तावार इजतिमाई़ त़ौर पर देखे जाने वाले मदनी मुज़ाकरे में ख़ुद भी शिर्कत कीजिए और दूसरों तक भी इस की दावत पहुंचाते रहिए, अगर इन मदनी कामों में मुस्तक़िल मिज़ाजी के साथ शिर्कत और दावते इस्लामी के मदनी माह़ोल में इस्तिक़ामत नसीब हो गई, तो अल्लाह पाक और उस के प्यारे ह़बीब صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ की मह़ब्बत मज़ीद पैदा होगी, सह़ाबए किराम عَلَیْہِمُ الرِّضْوَان और औलियाए किराम رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہِمْ اَجْمَعِیْن का मुबारक फै़ज़ान जारी हो जाएगा, गुनाहों से दिल बेज़ार होगा और सुन्नतों के मुत़ाबिक़ ज़िन्दगी गुज़ारने का भी ज़ेहन बनेगा اِنْ شَآءَ اللّٰہ

صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!       صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد

2﴿...झगड़े की तबाहकारियां

          आ़शिक़ाने रसूल ! मुआ़शरती बुराइयों में से एक "लड़ाई झगड़ा" भी है लड़ाई, झगड़े को फ़रोग़ देना शैत़ान की ख़्वाहिशात में से है आज हम अगर अपने मुआ़शरे पर नज़र दौड़ाएं, तो हमारा ज़मीर इस बात की गवाही देगा कि आज शैत़ान अपने इस वार में कामयाब होता जा रहा है मसलन ٭ कहीं ज़ात पात पर झगड़ा हो रहा है, तो कहीं तअ़स्सुब के सबब गोलियां चल रहीं और लाशें उठ रहीं हैं ٭ कहीं इदारे वालों से गालम गलोच का सिलसिला है, तो कहीं असातिज़ा त़लबा में ठनी हुई है ٭ कहीं मियां बीवी के दरमियान झगड़ा ज़ोर पकड़ता जा रहा है, तो कहीं सास बहू में तल्ख़ कलामी जारी है ٭ कहीं दुकानदार कारोबारी पार्टनर्ज़ एक दूसरे का गला घोंट रहे हैं, तो कहीं मालिके मकान किराएदारों में हाथापाई हो रही है ٭ कहीं पड़ोसी एक दूसरे के ख़ून के प्यासे हैं, तो कहीं रिश्तेदारों में नाराज़ी है ٭ कहीं इमाम मुक़्तदियों में दूरियां बढ़ती जा रही हैं, तो कहीं मस्जिद कमेटी और नमाज़ी ह़ज़रात आपस में नाराज़ हैं ٭ कहीं बरसों के दोस्तों (Friends) में अन बन चल रही है, तो कहीं पूरा घर ही मैदाने जंग बना हुवा है ٭ कहीं ख़ूनी रिश्ते और उन का एह़तिराम दाव पर लगा है, तो कहीं सगे भाइयों में फूट पड़ चुकी है