Museebaton Per Sabr Ka Zehin Kaisey Banay

Book Name:Museebaton Per Sabr Ka Zehin Kaisey Banay

1.      फ़रमाऊंगा या तो जल्द ही तुझे दे दूंगा या उसे तेरी आख़िरत के लिये जम्अ़ कर दूंगा । (الترغیب والترہیب ، کتاب الجنائز، باب التر غیب فی الصبر...الخ،۴/۱۳۵ ،رقم:۵۲۲۵)

2.      इरशाद फ़रमाया : जिस के माल या जान में मुसीबत आई फिर उस ने उसे छुपाए रखा और लोगों पर ज़ाहिर न किया, तो अल्लाह पाक पर ह़क़ है कि उस की मग़फ़िरत फ़रमा दे । (مَجْمَعُ الزَّوَائِد،کتاب الزھد،باب فیمن صبر علی العیش… الخ،۱۰ / ۴۵۰، حدیث:۱۷۸۷۲)

صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!      صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد

आज़माइश ज़ह़मत नहीं, रह़मत है

          प्यारे प्यारे इस्लामी भाइयो ! मा'लूम हुवा ! मुसीबतों और आज़माइशों का आना तक्लीफ़ का सबब नहीं बल्कि रह़मत व सआ़दत का सबब है । मुसीबत में मुब्तला शख़्स से अल्लाह पाक भलाई का इरादा फ़रमाता है, मुसीबत में मुब्तला होने वाले के गुनाह बख़्श दिये जाते हैं, आज़माइश में मुब्तला शख़्स को अल्लाह पाक बे ह़िसाब अ़त़ा फ़रमाता है और मुसीबत छुपाने वाले को बारगाहे इलाही से मग़फ़िरत का परवाना अ़त़ा किये जाने की ख़ुश ख़बरी है । मुसीबतों पर सब्र के इतने फ़ज़ाइल सुन कर, तो हमें ज़ेहन बनाना चाहिये कि चाहे कितनी ही मुसीबतें आ पड़ें, आज़माइशों के त़ूफ़ान हमें डराने की कोशिश करें, परेशानियों का सैलाब आ जाए और बीमारियां हर त़रफ़ से घेरा डाल दें, तब भी ह़र्फे़ शिकायत ज़बान पर हरगिज़ न आए बल्कि उन पर सब्र कर के इस के बदले में मिलने वाले सवाब के तसव्वुर में ऐसे गुम हो जाएं कि तक्लीफ़ का एह़सास तक बाक़ी न रहे ।

          اَلْحَمْدُلِلّٰہ बुज़ुर्गाने दीन رَحْمَۃُ اللّٰہ  عَلَیْہِمْ اَجْمَعِیْن की सीरते त़य्यिबा से भी हमें येही मदनी फूल मिलता है कि जब इन पर कोई मुसीबत आ जाती, तो येह ह़ज़रात उस पर सब्र के बदले मिलने वाले सवाब के तसव्वुर में ऐसे गुम हो जाते हैं कि इन्हें तक्लीफ़ का एह़सास तक नहीं रहता और येह ह़ज़रात मुसीबतों के आने के बा वुजूद भी ख़ुश रहते हैं । आइये ! तरग़ीब के लिये 3 ईमान अफ़रोज़ वाक़िआ़त मुलाह़ज़ा कीजिये और अपने आप को सब्रो रिज़ा का पैकर बनाने की कोशिश कीजिये । चुनान्चे,

1﴿...ज़ख़्मी होते ही हंस पड़ना

          ह़ज़रते सय्यिदुना फ़त्ह़ मौसिली رَحْمَۃُ اللّٰہ عَلَیْہ की अहलियए मोह़्तरमा رَحْمَۃُ اللّٰہ  عَلَیْہا एक मरतबा ज़ोर से गिरीं जिस से नाख़ुन (Nail) टूट गया लेकिन दर्द से चिल्लाने और "हाए, ऊह" वग़ैरा करने के बजाए वोह हंसने लगीं ! किसी ने पूछा : क्या ज़ख़्म में दर्द नहीं हो रहा ? फ़रमाया : सब्र के बदले में हाथ आने वाले सवाब की ख़ुशी में मुझे चोट की तक्लीफ़ का ख़याल ही न आ सका । (کیمیائے سعادت،رکن چہارم،منجیات، ۲/۷۸۲)

2﴿...बेटे की मौत पर मुस्कुराहट

          सिलसिलए आ़लिय्या, चिश्तिय्या के अ़ज़ीम बुज़ुर्ग, ह़ज़रते सय्यिदुना फ़ुज़ैल बिन इ़याज़ رَحْمَۃُ اللّٰہ عَلَیْہ को कभी किसी ने मुस्कुराते न देखा था लेकिन जिस दिन आप رَحْمَۃُ اللّٰہ عَلَیْہ के शहज़ादे, ह़ज़रते सय्यिदुना अ़ली बिन फ़ुज़ैल رَحْمَۃُ اللّٰہ عَلَیْہ का इन्तिक़ाल हुवा, तो आप رَحْمَۃُ