Museebaton Per Sabr Ka Zehin Kaisey Banay

Book Name:Museebaton Per Sabr Ka Zehin Kaisey Banay

8﴿...मुसीबत पर सब्र करने का ज़ेहन बनाने का एक त़रीक़ा येह भी है कि हम वक़्तन फ़-वक़्तन मक्तबतुल मदीना से जारी कर्दा अमीरे अहले सुन्नत دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ और अल मदीनतुल इ़ल्मिय्या की कुतुबो रसाइल को अपने मुत़ालए़ में रखें या किसी के ज़रीए़ सुनते रहें क्यूंकि इन कुतुबो रसाइल में मुसीबत पर सब्र के तअ़ल्लुक़ से कई ह़दीसें, सबक़ आमोज़ ह़िकायात, अल्लाह वालों के इरशादात और नसीह़त आमोज़ वाक़िआ़त मौजूद हैं ।

          आइये ! तरग़ीब के लिये अमीरे अहले सुन्नत دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ की किताब "फै़ज़ाने सुन्नत" जिल्द अव्वल के सफ़ह़ा नम्बर 386 से एक फ़िक्र अंगेज़ ह़िकायत सुनिये और उस से ह़ासिल होने वाले मदनी फूल चुन कर अपने दिल के मदनी गुलदस्ते में सजाने की कोशिश कीजिये । चुनान्चे,

अ़जीबो ग़रीब मरीज़

          ह़ज़रते सय्यिदुना यूनुस عَلَیْہِ السَّلَام ने ह़ज़रते सय्यिदुना जिब्रईले अमीन عَلَیْہِ السَّلَام से फ़रमाया : मैं इस ज़मीन के सब से बड़े इ़बादत गुज़ार को देखना चाहता हूं । ह़ज़रते सय्यिदुना जिब्रईले अमीन عَلَیْہِ السَّلَام, ह़ज़रते सय्यिदुना यूनुस

عَلَیْہِ السَّلَام को एक ऐसे शख़्स के पास ले गए जिस के हाथ, पांउ कोढ़ के मरज़ की वज्ह से गल कट कर जुदा हो चुके थे और वोह ज़बान से कह रहा था : ऐ अल्लाह पाक ! तू ने जब तक चाहा, इन आ'ज़ा से मुझे फ़ाइदा बख़्शा और जब चाहा ले लिया और मेरी उम्मीद (Hope) सिर्फ़ अपनी ज़ात में बाक़ी रखी । ऐ मेरे पैदा करने वाले ! मेरा तो मक़्सूद बस तू ही तू है । ह़ज़रते सय्यिदुना यूनुस عَلَیْہِ السَّلَام ने फ़रमाया : ऐ जिब्रईले अमीन ! मैं ने आप को नमाज़ी, रोज़ादार शख़्स दिखाने का कहा था । ह़ज़रते सय्यिदुना जिब्रईले अमीन عَلَیْہِ السَّلَام ने जवाब दिया : इस मुसीबत में मुब्तला होने से पहले येह ऐसा ही था, अब मुझे येह ह़ुक्म मिला है कि इस की आंखें भी ले लूं । चुनान्चे, ह़ज़रते सय्यिदुना जिब्रईले अमीन عَلَیْہِ السَّلَام ने इशारा किया और उस की आंखें निकल पड़ीं । मगर आ़बिद ने ज़बान से वोही बात कही : ऐ अल्लाह पाक ! जब तक तू ने चाहा, इन आंखों से मुझे फ़ाइदा बख़्शा और जब चाहा इन्हें वापस ले लिया । ऐ रब्बे करीम ! मेरी उम्मीद का मर्कज़ सिर्फ़ अपनी ज़ात को रखा, मेरा तो मक़्सूद बस तू ही तू है । ह़ज़रते सय्यिदुना जिब्रईले अमीन عَلَیْہِ السَّلَام ने इ़बादत गुज़ार शख़्स से फ़रमाया : आओ ! हम तुम मिल कर दुआ़ करें कि अल्लाह करीम तुम को फिर आंखें और हाथ, पाउं लौटा दे और तुम पहले ही की त़रह़ इ़बादत करने लगो । आ़बिद ने कहा : हरगिज़ नहीं ! ह़ज़रते सय्यिदुना जिब्रईले अमीन عَلَیْہِ السَّلَام ने फ़रमाया : आख़िर क्यूं नहीं ? इ़बादत गुज़ार शख़्स ने जवाब दिया : जब मेरे रब्बे करीम की रिज़ा इसी में है, तो मुझे सिह़्ह़त नहीं चाहिये । ह़ज़रते सय्यिदुना यूनुस عَلَیْہِ السَّلَام ने फ़रमाया : वाके़ई़ मैं ने किसी और को इस से बढ़ कर आ़बिद नहीं देखा । ह़ज़रते सय्यिदुना जिब्रईले अमीन عَلَیْہِ السَّلَام ने कहा : येह वोह रास्ता है कि अल्लाह पाक की रिज़ा पाने के लिये इस से बेहतर कोई रास्ता नहीं । (رُوضُ الرِیاحین،الحکایۃ السادسۃ والثلاثون بعد الثلاث مئۃ،ص۲۸۱)