Museebaton Per Sabr Ka Zehin Kaisey Banay

Book Name:Museebaton Per Sabr Ka Zehin Kaisey Banay

          سُبْحٰنَ اللہ ! सब्र करने वाला हो तो ऐसा ! आख़िर कौन सी मुसीबत ऐसी थी जो उस इ़बादत गुज़ार के वुजूद में न थी, ह़त्ता की आंखों के चराग़ भी बुझा दिये गए मगर उस के सब्रो इस्तिक़्लाल में ज़र्रा बराबर फ़र्क़ न आया, वोह "रिज़ाए इलाही पर राज़ी रहने" की उस अ़ज़ीम मन्ज़िल पर फ़ाइज़ था कि अल्लाह पाक से शिफ़ा त़लब करने के लिये भी तय्यार नहीं था कि जब अल्लाह पाक ने बीमार करना ही मन्ज़ूर फ़रमाया है, तो मैं तन्दुरुस्त (Healthy) होना नहीं चाहता । बिला शुबा येह इन्ही ह़ज़रात का ह़िस्सा था । ऐसे ही अल्लाह वालों का कहना है : نَحنُ نَفْرَحُ بِالْبَلاءِ کمَایَفْرَحُ اَھْلُ الدُّنیا بِالنِّعَمِ  हम बलाओं और मुसीबतों के मिलने पर ऐसे ही ख़ुश होते हैं, जैसे दुन्या वाले दुन्यवी ने'मतें हाथ आने पर ख़ुश होते हैं ।

12 मदनी कामों में से एक मदनी काम "बा'दे फ़ज्र मदनी ह़ल्क़ा"

        प्यारे प्यारे इस्लामी भाइयो ! मुसीबतों पर सब्र और इस से ह़ासिल होने वाले फ़ाइदों को लूटने का आसान त़रीक़ा येह भी है कि आ़शिक़ाने रसूल की मदनी तह़रीक दा'वते इस्लामी के मदनी माह़ोल से वाबस्ता हो कर नेकी के कामों में तरक़्क़ी के लिये ज़ैली ह़ल्के़ के 12 मदनी कामों की धूमें मचाई जाएं । 12 मदनी कामों में से एक मदनी काम "बा'दे फ़ज्र मदनी ह़ल्क़ा" भी है, जिस में 3 आयाते क़ुरआनी की तिलावत मअ़ तर्जमए कन्ज़ुल ईमान व तफ़्सीरे ख़ज़ाइनुल इ़रफ़ान, तफ़्सीरे नूरुल इ़रफ़ान, तफ़्सीरे सिरात़ुल जिनान, दर्से फै़ज़ाने सुन्नत (4 सफ़ह़ात) और आख़िर में शजरए क़ादिरिय्या, रज़विय्या, ज़ियाइय्या, अ़त़्त़ारिय्या भी पढ़ा और सुना जाता है, इस के बा'द शजरे के कुछ न कुछ अवरादो वज़ाइफ़ और इशराक़ व चाश्त के नवाफ़िल पढ़ने की भी तरकीब होती है । 12 मदनी कामों में से यौमिया इस मदनी काम "बा'दे फ़ज्र मदनी ह़ल्क़ा" की तफ़्सीली मा'लूमात जानने के लिये मक्तबतुल मदीना के रिसाले "बा'दे फ़ज्र मदनी ह़ल्क़ा" का मुत़ालआ़ कीजिये । तमाम इस्लामी भाई इस रिसाले का लाज़िमी मुत़ालआ़ फ़रमाएं, येह रिसाला मक्तबतुल मदीना के बस्ते पर दस्तयाब होने के साथ साथ दा'वते इस्लामी की वेबसाइट www.dawateislami.net से पढ़ा भी जा सकता है ।

          इस रिसाले की बरकत से आप पढ़ सकेंगे : ٭ बा'दे फ़ज्र मदनी ह़ल्क़ा किसे कहते हैं ? ٭ मदनी ह़ल्क़ा लगाने का त़रीक़ा । ٭ अस्लाफ़ के मदनी ह़ल्के़ । ٭ मदनी ह़ल्के़ के मा'मूलात की वज़ाह़त । ٭ फै़ज़ाने सुन्नत के बारे में मुफ़ीद बातें । ٭ शजरह शरीफ़ पढ़ने की बरकतें । ٭ दुआ़ के फ़वाइद । ٭ इशराक़ व चाश्त की बरकतें । ٭ मदनी ह़ल्क़ा लगाने के फ़वाइद और ٭ मदनी ह़ल्क़ा लगाने की चन्द एह़तियात़ें वग़ैरा ।

          اَلْحَمْدُ لِلّٰہ ! बा'दे फ़ज्र मदनी ह़ल्के़ की बरकत से मस्जिद में बैठने का सवाब ह़ासिल होता है । ٭ बा'दे फ़ज्र मदनी ह़ल्के़ की बरकत से तिलावते क़ुरआन करने और सुनने का शरफ़ ह़ासिल होता है । ٭ बा'दे फ़ज्र मदनी ह़ल्क़ा क़ुरआने करीम को तर्जमा व तफ़्सीर के साथ समझने का बेहतरीन ज़रीआ़ है । ٭ बा'दे फ़ज्र मदनी ह़ल्के़ की बरकत से मदनी इनआ़मात पर अ़मल होता है । ٭ बा'दे फ़ज्र मदनी ह़ल्के़ की बरकत से इशराक़ व चाश्त के नवाफ़िल पढ़ने का मौक़अ़ मिलता है । ٭ बा'दे फ़ज्र मदनी ह़ल्के़ में बुज़ुर्गाने दीन رَحْمَۃُ اللّٰہِ