Book Name:Shan-e-Sayedatuna Aisha Siddiqah
٭ اَلْحَمْدُ لِلّٰہ मदनी इनआ़मात अ़मल का जज़्बा बढ़ाने और गुनाहों से पीछा छुड़ाने का बेहतरीन नुस्ख़ा हैं । ٭ मदनी इनआ़मात पर अ़मल करने वालों से शैख़े त़रीक़त, अमीरे अहले सुन्नत دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ बहुत ख़ुश होते और उन्हें दुआ़ओं से नवाज़ते हैं । ٭ मदनी इनआ़मात पर अ़मल की बरकत से ख़ौफे़ ख़ुदा व इ़श्के़ मुस्त़फ़ा की ला ज़वाल दौलत हाथ आती है । ٭ मदनी इनआ़मात का येह अ़ज़ीम तोह़्फ़ा (Gift) बुज़ुर्गाने दीन رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہِمْ اَجْمَعِیْن की याद दिलाता है । ٭ मदनी इनआ़मात बुज़ुर्गाने दीन رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہِمْ اَجْمَعِیْن के नक़्शे क़दम पर चलते हुवे फ़िक्रे मदीना या'नी अपने आ'माल का मुह़ासबा करने का बेहतरीन ज़रीआ़ है ।
اَلْحَمْدُ لِلّٰہ ! मदनी इनआ़मात पर अ़मल करने में आसानी और इस की कारकर्दगी वग़ैरा पर नज़र रखने के लिये आ़शिक़ाने रसूल की मदनी तह़रीक दा'वते इस्लामी के ख़िदमते दीन के कमो बेश 107 शो'बाजात में से एक अहम तरीन शो'बा "मजलिसे मदनी इनआ़मात" भी है । इस मजलिस का बुन्यादी मक़्सद इस्लामी भाइयों, इस्लामी बहनों, जामिआ़तुल मदीना व मदारिसुल मदीना के त़लबा व त़ालिबात को बा अ़मल बनाना और उन्हें मदनी इनआ़मात पर अ़मल की तरग़ीब दिलाना है । आइये ! तरग़ीब के लिये एक मदनी बहार सुनिये । चुनान्चे,
रोज़ाना फ़िक्रे मदीना करने का इनआ़म
एक इस्लामी भाई एक बार मदनी क़ाफ़िले में सफ़र पर थे, इसी दौरान उन पर बाबे करम खुल गया । हुवा कुछ यूं कि रात को जब सोए, तो क़िस्मत अंगड़ाई ले कर जाग उठी, क्या देखते हैं कि रसूले अकरम صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ख़्वाब में तशरीफ़ ले आए । अभी जल्वों में ही गुम थे कि लब्हाए मुबारका को जुम्बिश हुई, रह़मत के फूल झड़ने लगे और अल्फ़ाज़ कुछ यूं तरतीब पाए : "जो मदनी क़ाफ़िले में रोज़ाना फ़िक्रे मदीना करते हैं, मैं उन्हें अपने साथ जन्नत में ले जाऊंगा ।"
صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب! صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد
सय्यिदा आ़इशा सिद्दीक़ा رَضِیَ اللّٰہُ عَنْھَا का
प्यारे प्यारे इस्लामी भाइयो ! उम्मुल मोमिनीन, सय्यिदा आ़इशा सिद्दीक़ा رَضِیَ اللّٰہُ عَنْھَا सख़ावत व ईसार के मदनी जज़्बे से भी माला माल थीं, आप رَضِیَ اللّٰہُ عَنْھَا की सख़ावत व ईसार का येह आ़लम था कि आप رَضِیَ اللّٰہُ عَنْھَا अपनी ज़रूरिय्यात की चीज़ें भी राहे ख़ुदा में ख़ैरात कर दिया करतीं और अपने लिये कुछ भी बचा कर न रखती थीं । आइये ! उम्मुल मोमिनीन, सय्यिदा आ़इशा सिद्दीक़ा رَضِیَ اللّٰہُ عَنْھَا की सख़ावत व ईसार पर मुश्तमिल एक ईमान अफ़रोज़ वाक़िआ़ सुनिये और राहे ख़ुदा में ख़र्च करने का जज़्बा अपने अन्दर बेदार कीजिये । चुनान्चे,