Shan-e-Sayedatuna Aisha Siddiqah

Book Name:Shan-e-Sayedatuna Aisha Siddiqah

٭ जनाज़े में रिज़ाए इलाही, फ़र्ज़ की अदाएगी, मय्यित और उस के अ़ज़ीज़ों की दिलजूई वग़ैरा अच्छी अच्छी निय्यतों से शिर्कत करनी चाहिये । ٭ जनाज़े के साथ जाते हुवे अपने अन्जाम के बारे में सोचते रहिये कि जिस त़रह़ आज इसे ले चले हैं, इसी त़रह़ एक दिन मुझे भी ले जाया जाएगा, जिस त़रह़ इसे मिट्टी तले दफ़्न किया जाने वाला है, इसी त़रह़ मेरी भी तद्फ़ीन अ़मल में लाई जाएगी । इस त़रह़ ग़ौरो फ़िक्र करना इ़बादत और सवाब का काम है । ٭ जनाजे़ को कन्धा देना सवाब का काम है । ह़दीसे पाक में है : जो जनाज़ा ले कर चालीस क़दम चले, उस के चालीस कबीरा गुनाह मिटा दिये जाएंगे । एक और ह़दीस शरीफ़ में है : जो जनाज़े के चारों पायों को कन्धा दे, अल्लाह पाक उस की मुस्तक़िल मग़फ़िरत फ़रमा देगा । (बहारे शरीअ़त, 1 / 823 جوہرہ،ص۱۳۹،دُرِّمُختار،۳ /۱۵۸،۱۵۹،) ٭ सुन्नत येह है कि एक के बा'द दूसरा शख़्स चारों पायों को कन्धा दे और हर बार दस दस क़दम चले । पूरी सुन्नत येह है कि पहले सीधे सिरहाने को कन्धा दे फिर सीधी पाइंती (या'नी सीधे पाउं की त़रफ़) फिर उल्टे सिरहाने फिर उल्टी पाइंती और दस दस क़दम चले, तो कुल चालीस क़दम हुवे । (आ़लमगीरी, 1 / 162, बहारे शरीअ़त, 1 / 822) ٭ जनाजे़ को कन्धा देते वक़्त जान बूझ कर तक्लीफ़ देने वाले अन्दाज़ में लोगों को धक्के देना जैसा कि बा'ज़ लोग किसी शख़्सिय्यत के जनाज़े में करते हैं, येह नाजाइज़ व ह़राम और दोज़ख़ में ले जाने वाला काम है । ٭ शौहर अपनी बीवी के जनाज़े को कन्धा भी दे सकता है, क़ब्र में भी उतार सकता है और मुंह भी देख सकता है, सिर्फ़ ग़ुस्ल देने और बिला रुकावट बदन को छूने की मुमानअ़त है । (बहारे शरीअ़त, 1 / 812, 813, बित्तग़य्युर) ٭ जनाज़े के साथ बुलन्द आवाज़ से कलिमए त़य्यिबा या कलिमए शहादत या ह़म्दो ना'त वग़ैरा पढ़ना जाइज़ है । (फ़तावा रज़विय्या, 9 / 139 ता 158)

صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!      صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد