Book Name:Shan-e-Sayedatuna Aisha Siddiqah
आइये ! तरग़ीब के लिये चन्द मदनी इनआ़मात के बारे में सुनते हैं और अ़मल की निय्यत करते हैं । चुनान्चे,
मदनी इनआ़म नम्बर 2 में है : क्या आज आप ने पांचों नमाज़ें मस्जिद की पहली सफ़ में तक्बीरे ऊला के साथ बा जमाअ़त अदा फ़रमाईं ? नीज़ हर बार किसी एक को अपने साथ मस्जिद ले जाने की कोशिश फ़रमाई ?
मदनी इनआ़म नम्बर 16 में है : क्या आज आप ने कम अज़ कम एक बार (बेहतर येह है कि सोने से क़ब्ल) सलातुत्तौबा पढ़ कर दिन भर के बल्कि साबिक़ा होने वाले तमाम गुनाहों से तौबा कर ली ? नीज़ ख़ुदा न ख़ास्ता गुनाह हो जाने की सूरत में फ़ौरन तौबा कर के आइन्दा वोह गुनाह न करने का अ़ह्द किया ?
मदनी इनआ़म नम्बर 18 में है : क्या आज आप ने फ़ज्र, ज़ोहर, अ़स्र और इ़शा की सुन्नते क़ब्लिय्या (जमाअ़त शुरूअ़ होने से क़ब्ल) नीज़ फ़र्ज़ों के बा'द वाले नवाफ़िल अदा फ़रमाए ? (नवाफ़िल दर्सो बयान के बा'द भी पढ़ सकते हैं)
मदनी इनआ़म नम्बर 19 में है : क्या आज आप ने नमाज़े तहज्जुद, इशराक़ व चाश्त और अव्वाबीन अदा फ़रमाई ?
मदनी इनआ़म नम्बर 20 में है : क्या आज आप ने कम अज़ कम एक एक बार तह़िय्यतुल वुज़ू और तह़िय्यतुल मस्जिद अदा फ़रमाई ?
आइये ! हम सब मिल कर निय्यत करते हैं कि आज से रोज़ाना फ़िक्रे मदीना करते हुवे मदनी इनआ़मात का रिसाला पुर करेंगे, اِنْ شَآءَ اللّٰہ । हर मदनी माह की पहली तारीख़ (First Date) को अपने यहां के ज़िम्मेदार को जम्अ़ करवाएंगे, اِنْ شَآءَ اللّٰہ । पांचों नमाज़ें मस्जिद की पहली सफ़ में तक्बीरे ऊला के साथ अदा करेंगे, اِنْ شَآءَ اللّٰہ । मस्जिद भरो तह़रीक जारी रखेंगे, اِنْ شَآءَ اللّٰہ । सलातुत्तौबा और सुन्नते क़ब्लिय्या भी पढ़ते रहेंगे, اِنْ شَآءَ اللّٰہ । नमाज़े तहज्जुद, इशराक़ व चाश्त, अव्वाबीन और दीगर नवाफ़िल भी अदा करते रहेंगे । اِنْ شَآءَ اللّٰہ
صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب! صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد
ऐ आ़शिक़ाने रसूल ! आइये ! शैख़े त़रीक़त, अमीरे अहले सुन्नत دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ के रिसाले "मुर्दे के सदमे" से जनाज़े के मदनी फूल सुनते हैं । पहले 2 फ़रामीने मुस्त़फ़ा صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ मुलाह़ज़ा कीजिये :
1. जब कोई जन्नती शख़्स फ़ौत हो जाता है, तो अल्लाह पाक ह़या फ़रमाता है कि उन लोगों को अ़ज़ाब दे जो इस का जनाज़ा ले कर चलें, जो इस के पीछे चलें और जिन्हों ने इस की नमाज़े जनाज़ा अदा की ।(فِردَوس الْاخبار،۱/۲۸۲،حدیث ۱۱۰۸)
2. बन्दए मोमिन को मरने के बा'द सब से पहला बदला येह दिया जाएगा कि उस के जनाज़ें में शरीक तमाम लोगों की बख़्शिश कर दी जाएगी । (مُسندُ البزار،۱۱/۸۶، حدیث:۴۷۹۶)