Book Name:Shan-e-Sayedatuna Aisha Siddiqah
صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ पर वह़्य उतरने के वक़्त आप صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ मेरे पास तशरीफ़ फ़रमा होते, मेरे इ़लावा किसी दूसरी ज़ौजए मोह़्तरमा के पास नबिय्ये करीम صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ पर वह़्य का नुज़ूल नहीं हुवा । (8) नबिय्ये पाक صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ का सरे अन्वर मेरे सीने और ह़ल्क़ के दरमियान था और इसी ह़ालत में आप صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ का विसाल हुवा । (9) आक़ा करीम صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने मेरी बारी के दिन विसाल फ़रमाया । (10) नबिय्ये पाक صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ की क़ब्रे अन्वर मेरे घर में बनाई गई । (सीरते मुस्त़फ़ा, स. 659, 660, मुलख़्ख़सन)
ऐ आ़शिक़ाने सह़ाबा व अहले बैत ! क़ुरबान जाइये ! ह़बीबए ह़बीबे ख़ुदा, उम्मुल मोमिनीन, ह़ज़रते सय्यिदा आ़इशा सिद्दीक़ा رَضِیَ اللّٰہُ عَنْھَا की शानो अ़ज़मत पर ! यक़ीनन येह शरफ़ भी आप رَضِیَ اللّٰہُ عَنْھَا के लिये कम न था कि आप رَضِیَ اللّٰہُ عَنْھَا को नबिय्ये अकरम صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ की ज़ौजा और क़ियामत तक आने वाले मोमिनों की मां होने के मुक़द्दस शरफ़ से सरफ़राज़ होने की सआ़दत मिली, रब्बे करीम ने आप رَضِیَ اللّٰہُ عَنْھَا पर नबिय्ये पाक صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ की दीगर अज़्वाजे मुत़ह्हरात से ज़ियादा इनआ़मो इकराम की बारिशें फ़रमाईं । बहर ह़ाल आप رَضِیَ اللّٰہُ عَنْھَا की शानो अ़ज़मत का समुन्दर इतना गहरा है जिस की गहराई में उतरने वाले को हमेशा क़ीमती मोती (Pearls) ही मिला करते हैं ।
اَلْحَمْدُ لِلّٰہ ! नबिय्ये पाक صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने अपनी ह़क़ व सच बयान करने वाली मुबारक ज़बान से आप رَضِیَ اللّٰہُ عَنْھَا के फ़ज़ाइलो मनाक़िब को बड़े ही शानदार अन्दाज़ में बयान फ़रमाया है । आइये ! उम्मुल मोमिनीन, ह़ज़रते सय्यिदतुना आ़इशा सिद्दीक़ा, त़य्यिबा, त़ाहिरा, अ़फ़ीफ़ा رَضِیَ اللّٰہُ عَنْھَا की शानो अ़ज़मत पर मुश्तमिल 4 अह़ादीसे मुबारका सुनिये । चुनान्चे,
शाने आ़इशा ब ज़बाने ह़बीबे किब्रिया
1. मदनी आक़ा صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने उम्मुल मोमिनीन, ह़ज़रते सय्यिदा आ़इशा सिद्दीक़ा رَضِیَ اللّٰہُ عَنْھَا के बारे में सह़ाबए किराम عَلَیْہِمُ الرِّضْوَان से इरशाद फ़रमाया : तुम अपना दो तिहाई दीन इस ह़ुमैरा (या'नी ह़ज़रते आ़इशा सिद्दीक़ा رَضِیَ اللّٰہُ عَنْھَا) से ह़ासिल कर लो । (تفسیرکبیر،پ۳۰،القدر،تحت الآیۃ:۳،۱۱ /۲۳۲)
2. नबिय्ये पाक صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने सय्यिदा फ़ात़िमा ज़हरा رَضِیَ اللّٰہُ عَنْھَا से फ़रमाया : ऐ फ़ात़िमा ! क्या तुम उस से मह़ब्बत नहीं करोगी जिस से मैं मह़ब्बत करता हूं ? सय्यिदा फ़ात़िमा ज़हरा رَضِیَ اللّٰہُ عَنْھَا ने अ़र्ज़ की : क्यूं नहीं ! इस पर प्यारे मुस्त़फ़ा صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने फ़रमाया : आ़इशा (رَضِیَ اللّٰہُ عَنْھَا) से मह़ब्बत रखो । (مسلم،کتاب فضائل الصحابۃ،باب فی فضل عائشۃ،ص۱۰۱۷، حدیث: ۲۴۴۲ ملتقطاً)
3. प्यारे आक़ा صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने अपनी लाडली शहज़ादी, ह़ज़रते सय्यिदा फ़ात़िमा رَضِیَ اللّٰہُ عَنْھَا को मुख़ात़ब कर के इरशाद फ़रमाया : रब्बे का'बा की क़सम ! तुम्हारे वालिद को आ़इशा (رَضِیَ اللّٰہُ عَنْھَا) बहुत ज़ियादा प्यारी हैं । (ابوداود،کتاب الادب،باب فی الانتصار،۴/۳۵۹،حدیث:۴۸۹۸)