Book Name:Darood-o-Salam Kay Fazail
السّادَۃ ، ۵ / ۵۹۴) ٭ पी चुकने के बा'द اَلْحَمْدُ لِلّٰہ कहिये । ह़ुज्जतुल इस्लाम, ह़ज़रते सय्यिदुना इमाम मुह़म्मद ग़ज़ाली رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ फ़रमाते हैं : बिस्मिल्लाह पढ़ कर पीना शुरूअ़ करे, पहली सांस के आख़िर में اَلْحَمْدُ لِلّٰہ, दूसरे के बा'द اَلْحَمْدُ لِلّٰہِ رَبِّ الْعٰلَمِیْن और तीसरे सांस के बा'द اَلْحَمْدُ لِلّٰہِ رَبِّ الْعٰلَمِیْنَ الرَّحْمٰنِ الرَّحِیْم पढ़े । (इह़याउल उ़लूम, 2 / 8) ٭ गिलास में बचे हुवे मुसलमान के साफ़ सुथरे झूटे पानी को क़ाबिले इस्ति'माल होने के बा वुजूद ख़्वाह म-ख़्वाह फेंकना न चाहिये । मन्क़ूल है : سُؤْرُ الْمُؤمِنِ شِفَاءٌ मुसलमान के झूटे में शिफ़ा है । (الفتاوی الفقہیۃ الکبری لابن حجر الہیتمی، ۴/ ۱۱۷، کشف الخفاء، ۱/ ۳۸۴) ٭ पी लेने के चन्द लम्ह़ों के बा'द ख़ाली गिलास को देखेंगे, तो उस की दीवारों से बह कर चन्द क़त़रे पेन्दे में जम्अ़ हो चुके होंगे, उन्हें भी पी लीजिये ।
صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب! صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد