Darood-o-Salam Kay Fazail

Book Name:Darood-o-Salam Kay Fazail

पढ़ते रहिये, न पढ़ने की वई़दें भी ज़ेहन नशीन रखिये, हमेशा अपने पास एक अ़दद तस्बीह़ ज़रूर रखिये जिस के ज़रीए़ रोज़ाना एक मख़्सूस ता'दाद में दुरूद शरीफ़ पढ़ते रहिये । इस के इ़लावा फ़ारिग़ वक़्त में भी फ़ुज़ूल बातों में मश्ग़ूल रहने के बजाए ज़िक्रो दुरूद की आ़दत बनाइये । इन तमाम अच्छी आ़दतों को अपनाने के लिये आ़शिक़ाने रसूल की मदनी तह़रीक दा'वते इस्लामी के मदनी माह़ोल से वाबस्ता हो कर इस के शो'बाजात में अपनी ख़िदमात सर अन्जाम दीजिये और दुन्या व आख़िरत की बरकतों से ह़िस्सा लीजिये ।

मजलिसे मक्तूबातो ता'वीज़ाते अ़त़्त़ारिय्या

اَلْحَمْدُ لِلّٰہ आ़शिक़ाने रसूल की मदनी तह़रीक दा'वते इस्लामी के दुन्या भर में कमो बेश 107 शो'बाजात में से एक "मजलिसे मक्तूबातो ता'वीज़ाते अ़त़्त़ारिय्या" भी है, जो दिन रात नबिय्ये करीम صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ की दुख्यारी उम्मत की ग़म ख़्वारी करने में मसरूफे़ अ़मल है । اَلْحَمْدُ لِلّٰہ ग़म ख़्वारिये उम्मत के जज़्बे के तह़्त इस मजलिस की त़रफ़ से हर माह तक़रीबन एक लाख पचास हज़ार बीमारों और परेशान ह़ाल लोगों में कमो बेश चार लाख से ज़ाइद ता'वीज़ात व अवरादे अ़त़्त़ारिय्या रिज़ाए इलाही के लिये बिल्कुल मुफ़्त तक़्सीम किये जाते हैं । ता'वीज़ाते अ़त़्त़ारिय्या की बरकतें सिर्फ़ किसी मख़्सूस अ़लाके़ या शहर तक ही मह़दूद नहीं बल्कि मुल्के अमीरे अहले सुन्नत के सारे सूबों के सैंक्ड़ों शहरों में सैंक्ड़ों बस्ते लगाए जा रहे हैं । मुल्के अमीरे अहले सुन्नत के इ़लावा दीगर मुमालिक मसलन साउथ अफ़रीक़ा, अमरीका, इंगलेन्ड, बंगलादेश और हिन्द वग़ैरा में भी ता'वीज़ाते अ़त़्त़ारिय्या के सैंक्ड़ों बस्तों की तरकीब है । अल्लाह करीम "मजलिसे मक्तूबातो ता'वीज़ाते अ़त़्त़ारिय्या" को मज़ीद तरक़्क़ियां और बरकतें नसीब फ़रमाए । اٰمِیْن بِجَاہِ النَّبِیِ الْاَمِیْن صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ

صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!      صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد