Darood-o-Salam Kay Fazail

Book Name:Darood-o-Salam Kay Fazail

नमाज़ों की पाबन्दी शुरूअ़ कर दी, इ़मामा शरीफ़ भी सजा लिया, जिस पर घर के बा'ज़ अफ़राद ने सख़्ती के साथ मुख़ालफ़त की मगर मदनी माह़ोल की कशिश और आ़शिक़ाने रसूल का अच्छा सुलूक उन्हें आ़शिक़ाने रसूल की मदनी तह़रीक दा'वते इस्लामी से मज़ीद क़रीब तर करता चला गया, मक्तबतुल मदीना से जारी होने वाले सुन्नतों भरे बयानात की केसेटें सुनने से ढारस बंधी और ह़ौसला मिलता चला गया । اَلْحَمْدُ لِلّٰہ आहिस्ता आहिस्ता उन के घर के अन्दर भी मदनी माह़ोल बन गया ।

صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!      صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد

          ऐ आ़शिक़ाने रसूल ! दुरूदे पाक पढ़ने का एक बहुत बड़ा फ़ाइदा येह भी है कि इस की बरकत से क़ियामत के दिन सरकार صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ की शफ़ाअ़त नसीब होगी । चुनान्चे, उम्मुल मोमिनीन, ह़ज़रते सय्यिदतुना आ़इशा सिद्दीक़ा رَضِیَ اللّٰہُ عَنْھَا से रिवायत है : नबिय्ये रह़मत صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ का फ़रमाने शफ़ाअ़त निशान है : مَنْ صَلّٰی عَلَیَّ یَوْمَ الْجُمُعَۃِ  کَانَتْ شَفَاعَۃٌ لَّہٗ عِنْدِیْ یَوْمَ الْقِیَامَۃ जो शख़्स जुमुआ़ के दिन मुझ पर दुरूद शरीफ़ पढ़ेगा, तो क़ियामत के दिन उस की शफ़ाअ़त मेरे ज़िम्मए करम पर होगी । (کنز العمال، کتاب الاذکار،الباب السادس فی الصلاۃ علیہ علی آلہ، ۱/۲۵۵، الجزء الاول،حدیث:۲۲۳۶)

        प्यारे प्यारे इस्लामी भाइयो ! क़ियामत के दिन के बारे में पारह 29, सूरतुल मआ़रिज की आयत नम्बर 4 में इरशाद होता है :

كَانَ مِقْدَارُهٗ خَمْسِیْنَ اَلْفَ سَنَةٍۚ(۴)29، سورۃ المعارج : 4)

तर्जमए कन्ज़ुल इ़रफ़ान : (वोह अ़ज़ाब) उस दिन में होगा जिस की मिक़्दार पचास हज़ार साल है ।

          उस दिन सूरज आग बरसा रहा होगा, तांबे की दहक्ती हुई ज़मीन होगी, हर एक अपने पसीने में नहा रहा होगा, शिद्दते प्यास से ज़बानें सूख कर कांटा हो जाएंगी, नफ़्सी नफ़्सी का आ़लम होगा और इस मुश्किल वक़्त में कोई ह़ाल पूछने वाला न होगा । पारह 30, सूरए अ़-ब-स की आयत नम्बर 34 ता 36 में इरशाद होता है :

یَوْمَ یَفِرُّ الْمَرْءُ مِنْ اَخِیْهِۙ(۳۴) وَ اُمِّهٖ وَ اَبِیْهِۙ(۳۵) وَ صَاحِبَتِهٖ وَ بَنِیْهِؕ(۳۶)30، سورء عَبَسَ : 34-36)