Darood-o-Salam Kay Fazail

Book Name:Darood-o-Salam Kay Fazail

मदनी फूल : नेक और जाइज़ काम में जितनी अच्छी निय्यतें ज़ियादा, उतना सवाब भी ज़ियादा ।

बयान सुनने की निय्यतें

  ٭ निगाहें नीची किये ख़ूब कान लगा कर बयान सुनूंगा । ٭ टेक लगा कर बैठने के बजाए इ़ल्मे दीन की ता'ज़ीम के लिये जहां तक हो सका दो ज़ानू बैठूंगा । ٭ اُذْکُرُوااللّٰـہَ، تُوبُوْا اِلَی اللّٰـہِ  صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْبِ، वग़ैरा सुन कर सवाब कमाने और सदा लगाने वालों की दिलजूई के लिये बुलन्द आवाज़ से जवाब दूंगा । ٭ बयान के बा'द ख़ुद आगे बढ़ कर सलाम व मुसाफ़ह़ा और इनफ़िरादी कोशिश करूंगा ।

صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!      صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد

शा'बान मेरा महीना है !

          प्यारे प्यारे इस्लामी भाइयो ! اَلْحَمْدُ لِلّٰہ शा'बानुल मुअ़ज़्ज़म का मुबारक महीना जारी है, हमें इस मुबारक महीने का ख़ूब अदबो एह़तिराम करते हुवे ज़ियादा से ज़ियादा इ़बादतो तिलावत करनी चाहिये । इस महीने को प्यारे आक़ा صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ से निस्बत ह़ासिल है । जैसा कि फ़रमाने मुस्त़फ़ा صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ है : شَعْبَانُ شَہْرِیْ وَرَمَضَانُ شَہْـرُ اللّٰہِ या'नी शा'बान मेरा महीना है और रमज़ान अल्लाह पाक का महीना है । (جامع صغیر، حرف الشین،  ص ۳۰۱،حدیث:۴۸۸۹)

शा'बानुल मुअ़ज़्ज़म में दुरूदे पाक की कसरत भी करनी चाहिये कि ग़ुन्यतुत़्त़ालिबीन में है : शा'बानुल मुअ़ज़्ज़म में प्यारे आक़ा صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ पर दुरूदे पाक की कसरत की जाती है और येह नबिय्ये करीम صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ पर दुरूद भेजने का महीना है । (غنیۃ الطّالبین،مجلس فی فضل شہر شعبان، ۱/۳۴۲)

एक रिवायत में है : जो शख़्स शा'बानुल मुअ़ज़्ज़म में रोज़ाना सात सौ मरतबा नबिय्ये रह़मत صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ पर दुरूदे पाक पढ़ेगा, तो अल्लाह पाक कुछ फ़िरिश्ते मुक़र्रर फ़रमाएगा जो इस के दुरूदे पाक को सरकारे मदीना صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ की बारगाहे अक़्दस में पहुंचाएंगे और इस की वज्ह से ह़ुज़ूरे अन्वर صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ की रूह़े मुबारक ख़ुश होगी फिर अल्लाह पाक उन फ़िरिश्तों