Rizq Main Tangi Kay Asbab

Book Name:Rizq Main Tangi Kay Asbab

लिंक (Link) शेयर कर के सवाबे जारिया का सामान भी कर सकते हैं । अल्लाह करीम मजलिसे तराजिम को मज़ीद तरक़्क़ियां अ़त़ा फ़रमाए । اٰمِیْن بِجَاہِ النَّبِیِ الْاَمِیْن صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ

 صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!     صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلٰی مُحَمَّد

रिज़्क़ में बरकत के ज़राएअ़

          मीठे मीठे इस्लामी भाइयो ! याद रखिये ! जिस त़रह़ रिज़्क़ की तंगी और मई़शत की तबाही से नजात के लिये रिज़्क़ में तंगी का सबब बनने वाली चीज़ों से बचना ज़रूरी है, इसी त़रह़ रिज़्क़ में इज़ाफे़ और मई़शत की तरक़्क़ी के लिये रिज़्क़ में कुशादगी और ख़ैरो बरकत पैदा करने वाली चीज़ों को इख़्तियार करना भी इन्तिहाई ज़रूरी है । आइये ! रिज़्क़ में बरकत पैदा करने वाले चन्द मदनी फूल सुनते हैं । चुनान्चे,

रिज़्क़ में बरकत पैदा करने वाले चन्द मदनी फूल

٭ रिश्तेदारों और बिल ख़ुसूस मां-बाप के साथ अच्छा सुलूक करना । (بخاری،کتاب الادب،باب من بسط…الخ،۴/۹۷،حدیث:۵۹۸۶) ٭ तक़्वा इख़्तियार करना या'नी अल्लाह पाक से डरना (गुनाहों को छोड़ना) । ٭ नमाज़े चाश्त पढ़ना (कि येह अ़मल रिज़्क़ में बरकत के लिये बेह़द फ़ाइदे मन्द है) । ٭ क़ुरआने पाक की मुख़्तलिफ़ सूरतें पढ़ना, मसलन सूरतुल मुल्क, सूरतुल मुज़्ज़म्मिल, सूरतुल लैल और सूरए अलम नशरह़ और ख़ुसूसन सूरए वाक़िआ़ की तिलावत करते रहना भी रिज़्क़ में कुशादगी का सबब है । ٭ सदक़ात अदा करना । ह़दीसे पाक में है : اَسْتَنْزِلُوا الرِّزْقَ بِالصَّدَقَۃِ तर्जमा : सदक़ात के ज़रीए़ रिज़्क़ त़लब करो । (الکامل فی ضعفاء الرجال،حبیب بن ابی حبیب،۳/۳۲۶) ٭ सुब्ह़ सवेरे जागना (और फ़ज्र की नमाज़ अदा करना) ने'मतों में इज़ाफ़े का बाइ़स बनता है । ٭ लोगों से ख़ुश अख़्लाक़ी से पेश आना और उन से अच्छा कलाम करना भी रिज़्क़ को बढ़ाता है । ٭ अपने घर के माह़ोल और घर के बरतनों वग़ैरा को साफ़ सुथरा रखना रिज़्क़ में ख़ैरो बरकत का ज़रीआ़ हैं । ٭ पांचों नमाज़ों की अदाएगी और उन में ख़ुशूअ़ व ख़ुज़ूअ़ और ता'दीले अरकान का लिह़ाज़ करते हुवे वाजिबात, सुन्नतों और आदाब का पूरी त़रह़ लिह़ाज़ रखना रिज़्क़ में ख़ैरो बरकत का ज़रीआ़ हैं । (राहे इ़ल्म, स. 105, माख़ूज़न) ٭ मस्जिद में अज़ान से पहले पहुंचना रिज़्क़ में ख़ैरो बरकत का ज़रीआ़ हैं । ٭ बा वुज़ू रहना रिज़्क़ में ख़ैरो बरकत का ज़रीआ़ हैं। ٭ नमाज़े इ़शा के बा'द दुन्यवी बात चीत न करना रिज़्क़ में ख़ैरो बरकत का ज़रीआ़ हैं । ٭ ग़ैर मुफ़ीद और फ़ुज़ूल बातों से बचना भी रिज़्क़ में ख़ैरो बरकत का ज़रीआ़ हैं । ٭ अपने बच्चों की अम्मी के लिबास और ख़र्च और खाने वग़ैरा में कुशादगी करना । ٭ आ़शूरा (या'नी 10 मोह़र्रमुल ह़राम) के दिन अपने बाल बच्चों के खाने, पीने में ख़ूब कुशादगी करना । (ماثبت بالسنۃ،ص۱۷) ٭ रात, दिन अल्लाह पाक से दुआ़ मांगना ।   (مجمع الزوائد، کتاب الادعیۃ،رقم ۱۷۱۹۹،۱۰ /۲۲۱) ٭ इब्तिदाए दिन में घर के अन्दर बिस्मिल्लाह और सूरए इख़्लास पढ़ लेना । ٭ खाने से पहले और बा'द वुज़ू (या'नी हाथ मुंह धोना) । (کَنزُالعُمّال،۱۰/۱۰۶ حدیث: ۴۰۷۵۵) ٭ दीन के अह़कामात पर पाबन्दी से अ़मल करते हुवे अल्लाह पाक की फ़रमां बरदारी करना । (شعب الایمان،۶/۲۱۹،حدیث: ۷۹۴۷) ٭ त़हारत व पाकीज़गी इख़्तियार करना । ٭ दस्तरख़ान पर गिरे हुवे टुक्ड़ों को चुन चुन कर खाना । (اتحاف السادۃ المتقین ، الباب الاول،۵/۵۹۷) ٭ नमाज़े तहज्जुद पढ़ते रहना, तौबा की कसरत करते रहना और