Book Name:Rizq Main Tangi Kay Asbab
यक़ीनन सूद और इस के इ़लावा दीगर नाजाइज़ ज़राएअ़ से ह़ासिल कर्दा ह़राम माल दुन्या व आख़िरत की तबाही का बाइ़स है । लिहाज़ा सूद और दीगर गुनाहों से पीछा छुड़ाने, नेकियों में दिल लगाने, मोह़्ताजी की आफ़त से बचने और दुन्या व आख़िरत की ढेरों भलाइयां पाने के लिये आ़शिक़ाने रसूल की मदनी तह़रीक दा'वते इस्लामी के मदनी माह़ोल से वाबस्ता हो जाइये और साथ ही साथ 12 मदनी कामों में भी बढ़ चढ़ कर ह़िस्सा लीजिये । 12 मदनी कामों में से हफ़्तावार एक मदनी काम "हफ़्तावार मदनी ह़ल्क़ा" भी है, जिस के ज़रीए़ मुख़्तलिफ़ ज़बान बोलने वालों, शख़्सिय्यात और ताजिरान के लिये अ़लाक़ाई सत़ह़ पर हफ़्तावार मदनी ह़ल्के़ की तरकीब बनाई जाती है । छोटे शहरों में या ऐसे मक़ामात जहां किसी वज्ह से हफ़्तावार इजतिमाअ़ अभी शुरूअ़ नहीं हो पाया, वहां हफ़्तावार मदनी ह़ल्क़ा या मस्जिद इजतिमाअ़ की तरकीब होती है ।
हफ़्तावार मदनी ह़ल्के़ के जदवल में तिलावत, ना'त शरीफ़, सुन्नतों भरा बयान, दुआ़ और दुरूदो सलाम शामिल है । किसी भी शहर / अ़लाके़ में एक से ज़ाइद हफ़्तावार मदनी ह़ल्के़ अलग अलग दिनों और मुख़्तलिफ़ मक़ामात पर लगाए जा सकते हैं । आप भी दीनी कामों में तरक़्क़ी के लिये आ़शिक़ाने रसूल की मदनी तह़रीक दा'वते इस्लामी के मदनी माह़ोल से वाबस्ता रहिये और 12 मदनी कामों में अपने आप को मश्ग़ूल कर लीजिये । اَلْحَمْدُ لِلّٰہ इस मदनी माह़ोल की बरकत से कई बिगड़े हुवे लोगों की इस्लाह़ हो चुकी है । आइये ! तरग़ीब के लिये एक मदनी बहार सुनते हैं । चुनान्चे,
मर्कज़ुल औलिया के एक इस्लामी भाई गुनाहों की वादियों में गुम थे, उन के स्कूल के ज़माने में एक इस्लामी भाई अक्सर उन के बड़े भाई से मिलने आया करते थे । एक दिन उन्हों ने दा'वते इस्लामी के हफ़्तावार सुन्नतों भरे इजतिमाअ़ की दा'वत पेश की, येह उन की दा'वत पर सुन्नतों भरे इजतिमाअ़ में जा पहुंचे, उन्हें बहुत अच्छा लगा, लिहाज़ा उन्हों ने पाबन्दी से जाना शुरूअ़ कर दिया । اَلْحَمْدُ لِلّٰہ इस की बरकत से उन्हों ने नमाज़ों की पाबन्दी शुरूअ़ कर दी, इ़मामा शरीफ़ भी सजा लिया जिस पर घर के बा'ज़ अफ़राद ने सख़्ती के साथ मुख़ालफ़त की मगर मदनी माह़ोल की कशिश और आ़शिक़ाने रसूल का ह़ुस्ने सुलूक उन्हें दा'वते इस्लामी से मज़ीद क़रीब तर करता चला गया, मक्तबतुल मदीना से जारी होने वाले सुन्नतों भरे बयानात की केसेटें सुनने से ढारस बंधी और ह़ौसला मिलता चला गया । اَلْحَمْدُ لِلّٰہ आहिस्ता आहिस्ता उन के घर के अन्दर भी मदनी माह़ोल बन गया ।
صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب! صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلٰی مُحَمَّد
मीठे मीठे इस्लामी भाइयो ! माले ह़राम में यक़ीनन हलाकतें ही हलाकतें हैं, लिहाज़ा एक मुसलमान के लिये ज़रूरी है कि वोह दुन्या व आख़िरत की बरबादी और रिज़्क़ की तंगी से बचने के लिये सूद और माले ह़राम से बचे और येह बात अच्छी त़रह़ ज़ेहन नशीन कर ले कि दुन्या में बसने वाले तमाम जानदार, ख़्वाह तरक़्क़ी याफ़्ता शहरी हों या किसी गांव के देहाती, घने जंगलात में रहने वाले ह़ैवानात हों या बुलन्दो बाला दरख़्तों की चोटी पर आबाद परिन्दे, समुन्दर की गहराइयों में रहने वाली मछलियां हों या पथ्थरों के पेट में अल्लाह पाक की पाकी बयान करने वाले कीड़े, हर