Rizq Main Tangi Kay Asbab

Book Name:Rizq Main Tangi Kay Asbab

وَ الَّذِیْنَ یَكْنِزُوْنَ الذَّهَبَ وَ الْفِضَّةَ وَ لَا یُنْفِقُوْنَهَا فِیْ سَبِیْلِ اللّٰهِۙ-فَبَشِّرْهُمْ بِعَذَابٍ اَلِیْمٍۙ(۳۴) (پ۱۰، التوبة:۳۴)

तर्जमए कन्ज़ुल इ़रफ़ान : और वोह लोग जो सोना और चांदी जम्अ़ कर रखते हैं और उसे अल्लाह की राह में ख़र्च नहीं करते, उन्हें दर्दनाक अ़ज़ाब की ख़ुश ख़बरी सुनाओ ।

          आइये ! ज़कात न देने वालों के बारे में माली नुक़्सान और मुआ़शी बोह़रान से मुतअ़ल्लिक़ दो फ़रामीने मुस्त़फ़ा صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ सुनिये । चुनान्चे,

1.     इरशाद फ़रमाया : जो क़ौम ज़कात न देगी, अल्लाह पाक उसे ख़ुश्क साली में मुब्तला फ़रमाएगा । (معجم الاوسط ، ۳/۲۷۵، حدیث: ۴۵۷۷)

2.     इरशाद फ़रमाया : ख़ुश्की व तरी में जो माल ज़ाएअ़ होता है, वोह ज़कात न देने की वज्ह से ज़ाएअ़ होता है ।

(کنزالعمال،کتاب الزکوۃ،قسم الاقوال، الفصل الثانی فی ترہیب مانع الزکوۃ،جز ۶، ۳/۱۳۱، حدیث:۱۵۸۰۳)

          मीठे मीठे इस्लामी भाइयो ! मा'लूम हुवा ! ज़कात न देना बारिशें न होने और मुआ़शी बोह़रान का सबब है । लिहाज़ा अगर हम वाके़ई़ मुआ़शी परेशानियों और रिज़्क़ की तंगी से नजात ह़ासिल करना चाहते हैं, तो हमें चाहिये कि रिज़्क़ की तंगी के अस्बाब की मा'लूमात ह़ासिल करें और उन से बचने की कोशिश करें । اَلْحَمْدُ لِلّٰہ शैख़े त़रीक़त, अमीरे अहले सुन्नत, बानिये दा'वते इस्लामी, ह़ज़रते अ़ल्लामा मौलाना अबू बिलाल मुह़म्मद इल्यास अ़त़्त़ार क़ादिरी रज़वी ज़ियाई دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ ने मुसलमानों की ख़ैर ख़्वाही के जज़्बे के तह़्त रिज़्क़ की तंगी के अस्बाब बयान फ़रमाए हैं । चुनान्चे,

          आप دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ फ़रमाते हैं : रोज़ी में तंगी के भी अस्बाब हैं, अगर उन से बचा जाए, तो اِنْ شَآءَ اللّٰہ रोज़ी में बरकत ही बरकत देखेंगे । इस के बा'द आप دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ ने रिज़्क़ में तंगी के अस्बाब भी बयान फ़रमाए हैं । वोह अस्बाब कौन कौन से हैं ? आइये ! सुनते हैं : (1) बिग़ैर हाथ धोए खाना खाना । (2) नंगे सर खाना । (3) अन्धेरे में खाना खाना । (4) दरवाज़े पर बैठ कर खाना । (5) मय्यित के क़रीब बैठ कर खाना । (6) जनाबत (या'नी ग़ुस्ल फ़र्ज़ होने पर ग़ुस्ल किये बिग़ैर नापाकी की ह़ालत में) खाना खाना । (7) चारपाई पर बिग़ैर दस्तरख़ान बिछाए खाना । (8) निकले हुवे खाने में देर करना । (9) चारपाई पर ख़ुद सिरहाने बैठना और खाना पाइंती (या'नी जिस त़रफ़ पाउं किये जाते हैं उस ह़िस्से) की जानिब रखना । (10) दांतों से रोटी कुतरना (बर्गर वग़ैरा खाने वाले भी एह़तियात़ फ़रमाएं) । (11) चीनी या  मिट्टी के टूटे हुवे बरतन इस्ति'माल में रखना, ख़्वाह इस में पानी पीना । (याद रखिये ! बरतन या कप के टूटे हुवे ह़िस्से की त़रफ़ से पानी, चाय वग़ैरा पीना मकरूह है, मिट्टी के दराड़ वाले या ऐसे बरतन जिन के अन्दरूनी ह़िस्से से थोड़ी सी भी मिट्टी उख्ड़ी हुई हो, उस में खाना न खाइये कि मेल कुचैल और जरासीम पेट में जा कर बीमारियों का सबब बन सकते हैं) । (12) खाए हुवे बरतन साफ़ न करना, जिस बरतन में खाना खाया उसी में हाथ धोना । (13) खाने, पीने के बरतन खुले छोड़ देना (खाने, पीने के बरतन बिस्मिल्लाह कह कर ढांक देने चाहियें कि बलाएं उतरती हैं और ख़राब कर देती हैं फिर वोह खाना और पानी बीमारियां लाता है) ।