Rizq Main Tangi Kay Asbab

Book Name:Rizq Main Tangi Kay Asbab

(सुन्नी बिहिश्ती ज़ेवर, स. 595 ता 601, मुलख़्ख़सन)

          ह़ज़रते सय्यिदुना इमाम बुरहानुद्दीन ज़रनूजी رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ ने रिज़्क़ में तंगी के जो अस्बाब बयान फ़रमाए हैं, उन में येह भी हैं : (14) ज़ियादा सोने की आ़दत (इस से जहालत भी पैदा होती है) । (15) बे लिबास या'नी कपड़े उतार कर सोना । (16) बे ह़याई के साथ पेशाब करना (लोगों के सामने आ़म रास्तों पर बिला झिझक पेशाब करने वाले ग़ौर फ़रमाएं) । (17) दस्तरख़ान पर गिरे हुवे दाने और खाने के ज़र्रे वग़ैरा उठाने में सुस्ती करना । (18) प्याज़ और लह्सन के छिलके जलाना । (19) घर में कपड़े से झाड़ू निकालना । (20) रात को झाड़ू देना । (21) कूड़ा घर ही में छोड़ देना । (22) बुज़ुर्गाने दीन رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہِمْ اَجْمَعِیْن के आगे चलना । (23) वालिदैन को उन के नाम से पुकारना । (24) दरवाज़े के एक ह़िस्से से टेक लगा कर खड़े होना । (25) बैतुल ख़ला (Washroom) में वुज़ू करना । (26) बदन ही पर कपड़ा वग़ैरा सी लेना । (27) चेहरा लिबास से ख़ुश्क कर लेना । (28) घर में मक्ड़ी के जाले लगे रहने देना । (29) नमाज़ में सुस्ती करना । (30) नमाज़े फ़ज्र के बा'द मस्जिद से जल्दी निकल जाना । (31) सुब्ह़ सवेरे बाज़ार जाना ।   (32) देर गए बाज़ार से आना । (33) अपनी औलाद को बद दुआ़एं देना (अक्सर औ़रतें बात बात पर अपने बच्चों को बद दुआ़एं देती हैं और फिर मोह़्ताजी का रोना भी रोती हैं) । (34) गुनाह करना, ख़ुसूसन झूट बोलना । (35) चराग़ को फूंक मार कर बुझा देना । (36) टूटी हुई कंघी इस्ति'माल करना । (37) मां-बाप के लिये भलाई की दुआ़ न करना । (38) इ़मामा बैठ कर बांधना । (39) पाजामा या शल्वार खड़े खड़े पहनना और (40) नेक आ'माल करने में बहाने बाज़ी करना । (تعلیم المتعلم طریق التعلم، ۷۳ تا ۷۶)

 صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!     صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلٰی مُحَمَّد

मजलिसे तराजिम

          मीठे मीठे इस्लामी भाइयो ! आप ने सुना कि रिज़्क़ में तंगी के किस क़दर अस्बाब हैं, लिहाज़ा अ़क़्लमन्द को चाहिये कि वोह रिज़्क़ में तंगी के इन अस्बाब से बचने की भरपूर कोशिश करे और आ़शिक़ाने रसूल की मदनी तह़रीक दा'वते इस्लामी के मदनी माह़ोल से वाबस्ता रहे ताकि इस माह़ोल की बरकत से रिज़्क़ में तंगी के अस्बाब को पहचानने और उन से बचने में मदद मिलती रहे । اَلْحَمْدُ لِلّٰہ ! आ़शिक़ाने रसूल की मदनी तह़रीक दा'वते इस्लामी दुन्या भर में कमो बेश 105 शो'बाजात में दीन की ख़िदमत में मसरूफे़ अ़मल है, इन्ही शो'बों में से एक शो'बा "मजलिसे तराजिम" भी है, जिस ने इन्तिहाई कम अ़र्से में अमीरे अहले सुन्नत دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ और मक्तबतुल मदीना की कुतुबो रसाइल का दुन्या की मुख़्तलिफ़ ज़बानों मसलन इंगलिश, अ़रबी, फ़ारसी, फ्रेन्च, जर्मन, चाइनीज़, इटालियन, रश्यन, हिन्दी, गुजराती और सिन्धी के इ़लावा कमो बेश 37 ज़बानों में तर्जमा करने की ख़िदमत सर अन्जाम दी हैं ताकि उर्दू पढ़ने वालों के साथ साथ दुन्या की दीगर ज़बानें बोलने वाले करोड़ों लोग भी फै़ज़याब हो सकें । اَلْحَمْدُ لِلّٰہ मजलिसे तराजिम की तमाम कुतुबो रसाइल दा'वते इस्लामी की वेबसाइट www.dawateislami.net पर मौजूद हैं, इस के इ़लावा "मदनी बुक्स लाइब्रेरी" के नाम से मोबाइल ऐप्लीकेशन भी है, जिस की मदद से आप कुतुबो रसाइल का न सिर्फ़ ख़ुद मुत़ालआ़ कर सकते हैं बल्कि अपने दोस्त व अह़बाब को इस ऐप्लीकेशन का