Nabi-e-Kareem Ki Mubarak Shehzadiyon Kay Fazail

Book Name:Nabi-e-Kareem Ki Mubarak Shehzadiyon Kay Fazail

शहज़ादिये कौनैन رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْھَا की आज़माइश

      ह़ज़रते सय्यिदुना इ़मरान बिन ह़ुसैन رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْہ से मरवी है : ह़बीबे किब्रिया, मक्की मदनी मुस्त़फ़ा صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ मुझ से ह़ुस्ने ज़न रखते थे । एक मरतबा आप صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने (मुझ से) फ़रमाया : ऐ इ़मरान ! तुम्हारा मेरे नज़दीक एक ख़ास मक़ाम है । क्या तुम मेरी बेटी फ़ात़िमा رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْھَا की इ़यादत करने चलोगे ? मैं ने अ़र्ज़ की : मेरे मां-बाप आप पर क़ुरबान ! ज़रूर चलूंगा । चुनान्चे, हम रवाना हो गए और ह़ज़रते सय्यिदा फ़ात़िमा رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْھَا के दरवाज़े पर पहुंचे । आप صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने दरवाज़ा खटखटाया और सलाम के बा'द अन्दर आने की इजाज़त त़लब फ़रमाई । ह़ज़रते सय्यिदतुना फ़ात़िमा ज़हरा رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْھَا ने कहा : तशरीफ़ लाइये ! आप صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने फ़रमाया : मेरे साथ एक और शख़्स भी है । सुवाल किया : ह़ुज़ूर ! दूसरा कौन है ? आप صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने फ़रमाया : इ़मरान ! ह़ज़रते सय्यिदा फ़ात़िमा رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْھَا बोलीं : रब्बे करीम की क़सम जिस ने आप को ह़क़ के साथ मब्ऊ़स फ़रमाया ! मैं सिर्फ़ एक चादर से तमाम जिस्म छुपाए हुवे हूं । आप صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने दस्ते अक़्दस के इशारे से फ़रमाया : तुम ऐसे ऐसे पर्दा कर लो । उन्हों ने अ़र्ज़ की : इस त़रह़ मेरा जिस्म तो ढक जाता है मगर सर नहीं छुपता । आप صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने उन की त़रफ़ एक पुरानी चादर फेंकी और फ़रमाया : तुम इस से सर ढांप लो । इस के बा'द आप घर में दाख़िल हुवे और सलाम के बा'द पूछा : बेटी कैसी हो ? ह़ज़रते सय्यिदा फ़ात़िमा رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْھَا ने अ़र्ज़ की : ह़ुज़ूर ! मुझे दो तक्लीफे़ं हैं, एक बीमारी की तक्लीफ़ और दूसरी भूक की तक्लीफ़ । मेरे पास ऐसी कोई चीज़ नहीं है जिसे खा कर भूक मिटा सकूं । सय्यिदा फ़ात़िमा के बाबा, ह़-सनैन के नाना صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ येह सुन कर अश्कबार हो गए और फ़रमाया : बेटी घबराओ नहीं ! रब्बे करीम की क़सम ! मेरा रब्बे करीम के यहां तुम से ज़ियादा मर्तबा है मगर