Book Name:Nabi-e-Kareem Ki Mubarak Shehzadiyon Kay Fazail
12 मदनी कामों में से हफ़्तावार इस मदनी काम "मदनी मुज़ाकरा" की तफ़्सीली मा'लूमात जानने के लिये मक्तबतुल मदीना के रिसाले "हफ़्तावार मदनी मुज़ाकरा" का मुत़ालआ़ कीजिये, तमाम ज़िम्मेदाराने दा'वते इस्लामी बिल ख़ुसूस हफ़्तावार मदनी मुज़ाकरा की मजालिस के निगरान व अराकीन तो इस रिसाले का लाज़िमी मुत़ालआ़ फ़रमाएं । येह रिसाला मक्तबतुल मदीना पर दस्तयाब होने के साथ साथ दा'वते इस्लामी की वेबसाइट www.dawateislami.net से भी पढ़ा जा सकता है ।
इस रिसाले के मुत़ालए़ की बरकत से आप जान सकेंगे : ٭ इ़ल्म न सीखने के नुक़्सानात । ٭ मदनी मुज़ाकरे में सुवाल पूछने की अहम्मिय्यत । ٭ इजतिमाई़ मदनी मुज़ाकरे में शिर्कत के त़रीके़ । ٭ मदनी मुज़ाकरों की तफ़्सील तादमे तह़रीर । ٭ मदनी मुज़ाकरे के मुतअ़ल्लिक़ मर्कज़ी मजलिसे शूरा के मदनी फूल । ٭ मदनी मुज़ाकरे से मुतअ़ल्लिक़ एह़तियात़ों और मुफ़ीद मा'लूमात पर मबनी सुवाल जवाब । ٭ मदनी मुज़ाकरे की शरई़ व तन्ज़ीमी एह़तियात़ें वग़ैरा । आइये ! बत़ौरे तरग़ीब हफ़्तावार मदनी मुज़ाकरा सुनने की बरकत से दा'वते इस्लामी के मदनी माह़ोल से वाबस्ता होने वाले शख़्स की मदनी बहार सुनते हैं । चुनान्चे,
मुल्के अमीरे अहले सुन्नत के मुक़ीम एक इस्लामी भाई सुन्नतों से दूर फै़शन के नशे में गुम थे, नित नए फै़शन वाले लिबास पहनना, फ़ुज़ूलिय्यात व लग़विय्यात में अपने क़ीमती लम्ह़ात ज़ाएअ़ करना उन का मा'मूल था, ज़िक्रे इलाही से यक्सर ग़ाफ़िल हो चुके थे । नेकियों भरी ज़िन्दगी गुज़ारने का ज़ेहन कुछ यूं बना कि एक बार उन्हें "मदनी मुज़ाकरा" सुनने की सआ़दत मिल गई, इस की बरकत से उन की ज़िन्दगी का रुख़ ही बदल गया । अमीरे अहले सुन्नत دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ के आ़म फ़हम अन्दाज़ में बयान की जाने वाली ढेरों ढेर मा'लूमात का अनमोल ख़ज़ाना लूटने का सुनेहरी मौक़अ़ मिला, ख़ौफे़ ख़ुदा