Book Name:Nabi-e-Kareem Ki Mubarak Shehzadiyon Kay Fazail
ऐ काश ! हमें अपनी रातें इ़बादत में बसर करने की सआ़दत नसीब हो जाए । ऐ काश ! हमारा कोई लम्ह़ा फ़ुज़ूल कामों में बसर न हो । ऐ काश ! हमारी हर घड़ी ज़िक्रो दुरूद के सबब रह़मत भरी गुज़रे । ऐ काश ! गाने, बाजे सुनने और गुनगुनाने (Singing) की हमारी येह बुरी आ़दत निकल जाए और हम घरेलू कामों में मश्ग़ूल हों या सफ़र में हों, हर वक़्त हमारे लबों पर ज़िक्रो दुरूद और ना'ते रसूल जारी रहे ।
صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب! صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلٰی مُحَمَّد
मीठे मीठे इस्लामी भाइयो ! उ़मूमन देखा जाता है कि जो जिस क़दर बड़े मन्सब का मालिक होता है, वोह अच्छे अन्दाज़ से ज़िन्दगी गुज़ारता है, अच्छे अच्छे खाने खाता है, उ़म्दा उ़म्दा लिबास पहनता है, महंगे मकानात में रहता है, आ़लीशान गाड़ियों में घूमता है, यूंही उस की औलाद भी ऐ़श व राह़त की ज़िन्दगी गुज़ारती है मगर क़ुरबान जाइये रह़मते आ़लम, नूरे मुजस्सम صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ पर ! जिन को रब्बे करीम ने तमाम मख़्लूक़ में सब से ज़ियादा फ़ज़ाइलो कमालात से नवाज़ा और बे शुमार इख़्तियारात अ़त़ा फ़रमाए हैं मगर आप صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने फ़क़्रो फ़ाक़ा को इख़्तियार फ़रमाया और तवक्कुल व क़नाअ़त वाली ज़िन्दगी गुज़ारी । चूंकि ख़ातूने जन्नत رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْھَا, आप صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ की लाडली शहज़ादी हैं, लिहाज़ा आप رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْھَا ने अपने वालिदे मोह़्तरम, शफ़ीए़ उमम صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ के नक़्शे क़दम पर चलते हुवे ज़िन्दगी गुज़ारने का वोही त़रीक़ा इख़्तियार फ़रमाया था जो आप رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْھَا के वालिदे मोह़्तरम का रहा । आइये ! इस ज़िम्न में एक नसीह़त आमोज़ ह़िकायत सुनिये और नसीह़त के मदनी फूल चुनिये । चुनान्चे,