Ita'at-e-Mustafa

Book Name:Ita'at-e-Mustafa

1- जो मुसलमान वा'दा ख़िलाफ़ी करे, उस पर अल्लाह पाक और फ़िरिश्तों और तमाम इन्सानों की ला'नत है और उस का न कोई फ़र्ज़ क़बूल होगा, न नफ़्ल । (صحیح البخاری،کتاب الجزیۃ والموادعۃ،باب اثم من عاھدثم غدر، الحدیث۳۱۷۹، ج۲،ص۳۷۰)

2- जो किसी मोमिन को नुक़्सान पहुंचाए या उस के साथ धोका बाज़ी करे, वोह मल्ऊ़न है । (سنن الترمذی، کتاب البروالصلۃ، باب ماجاء فی الخیانۃوالغش، الحدیث:۱۹۴۸، ج۳،ص۳۷۸)

3- जो अपने किसी मुसलमान भाई को उस के किसी ऐसे गुनाह पर आ़र (या'नी शर्म) दिलाएगा जिस से वोह तौबा कर चुका हो, तो आ़र (या'नी शर्म) दिलाने वाला उस वक़्त तक नहीं मरेगा जब तक कि वोह ख़ुद उस गुनाह को न कर ले । (احیاء علوم الدین،کتاب آفات اللسان،الآفۃ الحادیۃعشرالسخریۃوالاستھزاء،ج۳، ص۱۶۳)

          मीठी मीठी इस्लामी बहनो ! अगर हम भी बयान कर्दा फ़रामीने मुस्त़फ़ा صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ पर अ़मल करने में कामयाब हो जाएं, तो اِنْ شَآءَ اللّٰہ हमारी ज़िन्दगी में भी नेकियों की मदनी बहार आ जाएगी और गुनाहों भरी ज़िन्दगी से छुटकारा मिल जाएगा । आइये ! हम भी पांचों नमाज़े पढ़ने, वालिदैन और तमाम मुसलमानों से अच्छा सुलूक करने, मुसलमानों की दिल आज़ारी से बचने, उन का दिल ख़ुश करने, यतीमों पर शफ़्क़त करने, त़ाक़त के मुत़ाबिक़ अहलो इ़याल की मदनी तरबिय्यत करने, मुसलमानों को अच्छी बातें बताने, उन के ऐ़बों को छुपाने, मुसीबत पर सब्र करने, ज़ुल्म व ज़ियादती, फ़ोह़श गोई, बुग़्ज़ो कीना, वा'दा ख़िलाफ़ी, धोका देही वग़ैरा गुनाहों से बचने की ख़ुद भी निय्यत करती हैं और اِنْ شَآءَ اللّٰہ दूसरों को भी बचाएंगी । इस के इ़लावा दा'वते इस्लामी के इशाअ़ती इदारे मक्तबतुल मदीना की दो कुतुब "जन्नत में ले जाने वाले आ'माल" और "जहन्नम में ले जाने वाले आ'माल" का मुत़ालआ़ कीजिये ।

صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!        صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلٰی مُحَمَّد