Book Name:Aala Hazrat Ka Ishq-e-Rasool
आ़लमगीर शोहरत का सारा ए'ज़ाज़, ख़ुशनूदिये मह़बूब की ख़ात़िर एक गुमनाम मज़दूर शहज़ादे के क़दमों पर निसार कर रहा है ।
(अन्वारे रज़ा, स. 415, मुलख़्ख़सन)
سُبْحٰنَ اللہ ! आप ने सुना कि आ'ला ह़ज़रत رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ को सच्चे इ़श्के़ रसूल के सदके़ एक मख़्सूस ख़ुश्बू के ज़रीए़ मा'लूम हो गया कि पालकी उठाने वाले मज़दूरों में कोई सय्यिद ज़ादे भी हैं और फिर वहां मौजूद बहुत से लोगों ने अपनी आंखों से इ़श्क़ का येह निराला अन्दाज़ देखा कि आ'ला ह़ज़रत رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ जिन का मक़ाम इतना बुलन्द है कि अ़रबो अ़जम के मश्हूरो मा'रूफ़ उ़लमाए किराम رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہِمْ اَجْمَعِیْن उन से शरफ़े बैअ़त ह़ासिल करें, आप رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ की सोह़बत को अपने लिये बाइ़से फ़ख़्र समझें, आप رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ से ह़दीस रिवायत करने की इजाज़त त़लब करें, आप رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ के मुजद्दिदे वक़्त, वलिय्ये कामिल और आ़शिके़ रसूल होने की गवाही दें, जिन्हें कमो बेश पचास उ़लूमो फ़ुनून में कामिल महारत ह़ासिल थी, जिन्हों ने लुग़्वी, मा'नवी, अदबी और इ़ल्मी कमालात पर मुश्तमिल ज़ाते ख़ुदा, अ़ज़मते मुस्त़फ़ा और मुक़द्दस हस्तियों के अदबो एह़तिराम का पासबान, तर्जमए क़ुरआन "कन्ज़ुल ईमान" किया, 6847 सुवालात व जवाबात और 206 रसाइल से आरास्ता तीस जिल्दों पर मुश्तमिल 21,656 सफ़ह़ात पर मुश्तमिल "फ़तावा रज़विय्या" जिन के इ़ल्मी मक़ामो मर्तबे का सुबूत है, जिन की इ़ल्मी क़ाबिलिय्यत और फ़साह़तो बलाग़त के हर त़रफ़ चर्चे हो रहे हैं, जिन्हों ने ह़-रमैने शरीफ़ैन में दो दिन के मुख़्तसर अ़र्से और वोह भी बीमारी की ह़ालत में एक ज़बरदस्त और तह़क़ीक़ी रिसाला अ़रबी में लिख कर, मह़बूबे करीम صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ के लिये इ़ल्मे ग़ैब के सुबूत पर दलाइल के अम्बार लगाए और दुश्मनाने रसूल के दांत खट्टे किये, आज वोही इमामे इ़श्क़ो मह़ब्बत आ़जिज़ी व इन्किसारी की तस्वीर बने, सरे आ़म एक सय्यिद ज़ादे के हु़ज़ूर गिड़गिड़ा कर मुआ़फ़ी मांग रहे हैं और ख़ुद पालकी में बैठने के बजाए सय्यिद ज़ादे को पालकी में बिठा कर पालकी का बोझ अपने कन्धे पर उठा रहे हैं ।
आ'ला ह़ज़रत رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ के मुबारक अ़मल से येह मदनी फूल भी सीखने को मिला कि सादाते किराम को उन का नाम ले कर मुख़ात़ब करना ख़िलाफ़े अदब है कि आ'ला ह़ज़रत رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ भी सादाते किराम को उन का नाम ले कर पुकारने को बे अदबी शुमार फ़रमाते थे ह़त्ता कि आप رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ के मुतअ़ल्लिक़ीन में से अगर कोई इस क़िस्म की बे एह़तियात़ी कर बैठता, तो नाराज़ी का इज़्हार फ़रमाते और आइन्दा सादाते किराम के अदबो एह़तिराम की ता'लीम इरशाद फ़रमाते । ग़ौर कीजिये ! जिसे सादाते किराम की अ़क़ीदतो मह़ब्बत और उन के एह़तिराम का इस क़दर लिह़ाज़ हो, उसे सय्यिदों के सरदार, सरकारे नामदार صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ से किस क़दर वालिहाना इ़श्क़ होगा !