Book Name:Aala Hazrat Ka Ishq-e-Rasool
मेरी और मेरे बाप दादा की इ़ज़्ज़तो आबरू, इ़ज़्ज़ते मुह़म्मदुर्रसूलुल्लाह صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ के लिये ढाल बनी रहे । (फ़तावा रज़विय्या, 15 / , मुलख़्ख़सन)
एक और मक़ाम पर इरशाद फ़रमाया : जिस को अल्लाह (पाक) और रसूल (صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ) की शान में अदना (या'नी थोड़ी) सी भी तौहीन करता पाओ, अगर्चे वोह तुम्हारा कैसा ही प्यारा क्यूं न हो, फ़ौरन उस से जुदा हो जाओ, जिस को बारगाहे रिसालत में ज़रा भी गुस्ताख़ी करता देखो, अगर्चे वोह कैसा ही अ़ज़ीम बुज़ुर्ग क्यूं न हो, उसे अपने अन्दर से दूध की मख्खी की त़रह़ निकाल कर फेंक दो । (ता'लीमाते इमाम अह़मद रज़ा बरेलवी, स. 5, मुलख़्ख़सन)
صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب! صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلٰی مُحَمَّد
मीठे मीठे इस्लामी भाइयो ! अल्लाह पाक और उस के मदनी ह़बीब, ह़बीबे लबीब, हम गुनाहगारों के त़बीब صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ की मह़ब्बत को दिल में बसाने और आ'ला ह़ज़रत رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ के दामने करम से वाबस्ता रहने के लिये आ़शिक़ाने रसूल का मदनी माह़ोल एक बहुत बड़ी ने'मत है । लिहाज़ा इस मदनी माह़ोल से हर दम वाबस्ता रहिये और ख़िदमते दीन के कामों में दा'वते इस्लामी का बढ़ चढ़ कर साथ दीजिये । اَلْحَمْدُ لِلّٰہ आ़शिक़ाने रसूल की मदनी तह़रीक दा'वते इस्लामी कमो बेश 104 शो'बाजात में नेकी की दा'वत की धूमें मचा रही है, इन्हीं में से एक "मजलिसे ख़ुद्दामुल मसाजिद" भी है । इस शो'बे का क़ियाम शैख़े त़रीक़त, अमीरे अहले सुन्नत دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ के उस ख़्वाब की तक्मील है कि ऐ काश ! हमारी मसाजिद आबाद हो जाएं, उन की रौनके़ं पलट आएं और नफ़्सो शैत़ान की वज्ह से मख़्लूक़ जो अपने ख़ालिके़ ह़क़ीक़ी से दूर हो चुकी है, क़रीब हो जाए ।
اَلْحَمْدُ لِلّٰہ मजलिसे ख़ुद्दामुल मसाजिद पुरानी मसाजिद आबाद करने की कोशिश के साथ साथ नई मसाजिद की ता'मीर के लिये भी कोशिश करती रहती है । इस जिमन में मसाजिद की ता'मीरात वग़ैरा का सिलसिला किसी न किसी सूरत में जारी रहता है । जिन अ़लाक़ों या शहरों में मसाजिद की ज़रूरत होती है, वहां मजलिसे ख़ुद्दामुल मसाजिद के ज़िम्मेदारान उस अ़लाके़, शहर या काबीना की मुशावरत के ज़िम्मेदार के ज़रीए़ दारुल इफ़्ता अहले सुन्नत से शरई़ रहनुमाई ले कर जगह (Plot) के ह़ुसूल की कोशिश और मुख़य्यर अफ़राद से ता'मीरात की तरकीब करते हैं ।
अल्लाह करीम मजलिसे ख़ुद्दामुल मसाजिद को मज़ीद इस्तिक़ामत के साथ येह नेक काम जारी रखने की तौफ़ीक़ अ़त़ा फ़रमाए ।
اٰمِیْن بِجَاہِ النَّبِیِ الْاَمِیْن صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ
صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب! صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلٰی مُحَمَّد