Book Name:Aala Hazrat Ki Ibadat o Riazat
الْحَبِیْبِ، वग़ैरा सुन कर सवाब कमाने और सदा लगाने वाली की दिलजूई के लिये पस्त आवाज़ से जवाब दूंगी । ٭ इजतिमाअ़ के बा'द ख़ुद आगे बढ़ कर सलाम व
मुसाफ़ह़ा और इनफ़िरादी कोशिश करूंगी । ٭ दौराने बयान मोबाइल के ग़ैर ज़रूरी इस्ति'माल से बचूंगी, न बयान रीकॉर्ड करूंगी, न ही और किसी क़िस्म की आवाज़ (कि इस की इजाज़त नहीं) । जो कुछ सुनूंगी, उसे सुन और समझ कर, उस पे अ़मल करने और उसे बा'द में दूसरों तक पहुंचा कर नेकी की दा'वत आम करने की सआदत ह़ासिल करूंगी ।
صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب! صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلٰی مُحَمَّد
मीठी मीठी इस्लामी बहनो ! शव्वालुल मुकर्रम का बा बरकत महीना जारी व सारी है । येह वोह मुबारक महीना है जिस में दुन्याए सुन्निय्यत के अ़ज़ीम पेशवा, इमामे अहले सुन्नत, मुजद्दिदे दीनो मिल्लत, परवानए शम्ए़ रिसालत, आ'ला ह़ज़रत, अश्शाह, अल ह़ाफ़िज़, अलह़ाज इमाम अह़मद रज़ा ख़ान عَلَیْہِ رَحمَۃُ اللّٰہ ِالرَّحْمٰن इस दुन्या में जल्वागर हुवे । आप رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ की विलादते बा सआदत बरेली शरीफ़ (यूपी, हिन्द) के मह़ल्ला जसूली में 10 शव्वालुल मुकर्रम 1272 हिजरी, बरोज़ हफ़्ता, ब वक़्ते ज़ोहर ब मुत़ाबिक़ 14 जून 1856 ई़सवी को हुई । (ह़याते आ'ला ह़ज़रत जि. 1 स. 58)
आप رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ का पैदाइशी नाम "मुह़म्मद" है, आप की वालिदए माजिदा मह़ब्बत में "अम्मन मियां" फ़रमाया करती थीं, वालिदे माजिद व दीगर रिश्तेदार "अह़मद मियां" के नाम से याद फ़रमाया करते थे । आप के जद्दे अमजद (दादा जान) ने आप का इस्म शरीफ़ "अह़मद रज़ा" रखा और आप का तारीख़ी नाम "अल मुख़्तार" है (जब कि कुन्यत अबू मुह़म्मद है) और आ'ला ह़ज़रत رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ ख़ुद अपने नाम से पहले "अ़ब्दुल मुस्त़फ़ा" लिखा करते थे । (तजल्लियाते इमाम अह़मद रज़ा, स. 21) चुनान्चे, अपने ना'तिया दीवान "ह़दाइके़ बख़्शिश" में एक जगह फ़रमाते हैं :
ख़ौफ़ न रख रज़ा ज़रा, तू तो है अ़ब्दे मुस्त़फ़ा
तेरे लिये अमान है, तेरे लिये अमान है