Jahannam Say Bachany Waly Aamal

Book Name:Jahannam Say Bachany Waly Aamal

क़द्र का तोह़फ़ा अ़त़ा फ़रमाया और इन से पहले और किसी को येह रात अ़त़ा नहीं फ़रमाई । ( مسند فردوس، باب الالف، ۱/۱۷۳، الحدیث: ۶۴۷)

          मुफ़्ती नई़मुद्दीन मुरादाबादी رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ फ़रमाते हैं : येह अल्लाह तआ़ला का अपने ह़बीब صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ पर करम है कि आप صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ के उम्मती शबे क़द्र की एक रात इ़बादत करें, तो इन का सवाब पिछली उम्मत के हज़ार माह इ़बादत करने वालों से ज़ियादा हो ।

(ख़ज़ाइनुल इ़रफ़ान, अल क़द्र, तह़तुल आयत : 3, स. 1113)

          मुफ़्ती अह़मद यार ख़ान नई़मी رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ फ़रमाते हैं : इस आयत से दो फ़ाइदे ह़ासिल हुवे, एक येह कि बुज़ुर्ग चीज़ों से निस्बत बड़ी ही मुफ़ीद है कि शबे क़द्र की येह फ़ज़ीलत क़ुरआन की निस्बत से है, अस्ह़ाबे कहफ़ के कुत्ते को उन बुज़ुर्गों से मन्सूब हो कर दाइमी ज़िन्दगी, इ़ज़्ज़त नसीब हुई । दूसरा येह कि तमाम आसमानी किताबों से क़ुरआन शरीफ़ अफ़्ज़ल है क्यूंकि तौरात व इन्जील की तारीख़े नुज़ूल को येह अ़ज़मत न मिली ।

(नूरुल इ़रफ़ान, अल क़द्र, तह़तुल आयत : 3, स. 990)

मीठे मीठे इस्लामी भाइयो ! शबे क़द्र कितनी अ़ज़ीम रात है, भलाइयों वाली रात है, रह़मतों वाली रात है, दुआ़ओं की क़बूलिय्यत की रात है, बख़्शिश की रात है, लैलतुल क़द्र इन्तिहाई बरकत वाली रात है, इस को लैलतुल क़द्र इस लिये कहते हैं कि इस में साल भर के अह़काम नाफ़िज़ किये जाते हैं । या'नी फ़िरिश्ते रजिस्टरों में आइन्दा साल होने वाले मुआ़मलात लिखते हैं । जैसा कि तफ़्सीरे सावी जिल्द 6, सफ़ह़ा नम्बर 2398 पर है : "اَیْ اِظْہَارُھَا فِیْ دَوَاوِیْنِ الْمَلَا ئِ الْاَعْلٰی" तर्जमा : इसे (या'नी उमूरे तक़दीर को) मुक़र्रब फ़िरिश्तों के रजिस्टरों में ज़ाहिर कर दिया जाता है और भी मुतअ़द्दिद शराफ़तें इस मुबारक रात को ह़ासिल हैं ।

मुफ़स्सिरे शहीर, ह़कीमुल उम्मत, ह़ज़रते मुफ़्ती अह़मद यार ख़ान عَلَیْہِ رَحمَۃُ اللّٰہ ِالْحَنَّان फ़रमाते हैं : इस शब को लैलतुल क़द्र चन्द वुजूह से कहते हैं । (1) इस में साले आइन्दा के उमूर मुक़र्रर कर के मलाइका के सिपुर्द कर दिये जाते हैं,