Jahannam Say Bachany Waly Aamal

Book Name:Jahannam Say Bachany Waly Aamal

اَسْتَغْفِرُ اللہ                                          تُوْبُوْا اِلٰی اللہ

صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!                             صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلٰی مُحَمَّد

सुनूं न ग़ीबत व चुग़ली !

          मीठे मीठे इस्लामी भाइयो ! आप भी अपना येह जे़हन बनाइये कि जूंही किसी मुसलमान का मन्फ़ी (NEGATIVE) तज़किरा निकले फ़ौरन ख़बरदार हो जाइये और ग़ौर कीजिये, अगर वोह तज़किरा ग़ीबत पर मबनी या ग़ीबत की त़रफ़ ले जाने वाला हो, तो फ़ौरन इस से बाज़ आ जाइये, अगर कोई और आदमी येह गुफ़्तगू करने लगा हो, तो उस को मुनासिब त़रीके़ पर रोक दीजिये, अगर वोह बाज़ न आए, तो वहां से उठ जाइये, अगर उसे रोकना या अपना वहां से हटना मुमकिन न हो, तो दिल में बुरा जानिये, तरकीब से बात बदल दीजिये, उस गुफ़्तगू में दिलचस्पी मत लीजिये, मसलन इधर उधर देखने लग जाइये, मुंह पर बेज़ारी के आसार लाइये, बार बार घड़ी देख कर उक्ताहट का इज़्हार फ़रमाइये और मौक़अ़ मिलते ही वहां से फ़ौरन उठ जाइये ।

(ग़ीबत की तबाहकारियां, स. 214)

दूसरों को भी जहन्नम से बचाइये !

मीठे मीठे इस्लामी भाइयो ! दूसरों की ग़ीबत करने और सुनने की आ़दत निकालिये और अपने आप को जहन्नम का इंधन बनने से बचाइये । अफ़्सोस ! सद अफ़्सोस ! कि मुसलमानों की भारी अक्सरिय्यत इस वक़्त ग़ीबत की ख़ौफ़नाक आफ़त की लपेट में है । इस का बुन्यादी सबब ग़ीबत के बारे में मा'लूमात का न होना है । एक ता'दाद है जो ग़ीबत की ता'रीफ़ तक से ना आशना है और जब किसी चीज़ के बारे में इ़ल्म ही न हो, तो उस से बचना क़रीबन ना मुमकिन होता है, इस लिये ग़ीबत के बारे में मा'लूमात ह़ासिल करने के लिये शैख़े त़रीक़त, अमीरे अहले सुन्नत, बानिये दा'वते इस्लामी, ह़ज़रते अ़ल्लामा मौलाना अबू बिलाल मुह़म्मद इल्यास अ़त़्त़ार क़ादिरी रज़वी ज़ियाई