Book Name:Jahannam Say Bachany Waly Aamal
دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ की 504 सफ़ह़ात पर मुश्तमिल किताब "ग़ीबत की तबाह कारियां" का मुत़ालआ़ बेह़द मुफ़ीद साबित होगा ।
इस किताब में ग़ीबत की ता'रीफ़, इस की मज़म्मत में क़ुरआनी आयात, अह़ादीसे मुबारका, बुज़ुर्गाने दीन के अक़्वाल व अह़वाल, ग़ीबत के मुतअ़ल्लिक़ ह़िकायात, ग़ीबत की मिसालें और इन के अह़काम, ग़ीबत के जाइज़ और नाजाइज़ होने की सूरतें, ग़ीबत करने के दुन्यवी व उख़रवी नुक़्सानात के साथ साथ बे शुमार मदनी फूल अपनी ख़ुश्बूएं लुटा रहे हैं । यक़ीनन येह किताब हर घर बल्कि हर फ़र्द की ज़रूरत है, इस लिये आज ही इस किताब को मक्तबतुल मदीना से हदिय्यतन त़लब कीजिये, اِنْ شَآءَ اللہ عَزَّ وَجَلَّ इ़ल्मे दीन का एक अ़ज़ीम ज़ख़ीरा हाथ आएगा ।
صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب! صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلٰی مُحَمَّد
मीठे मीठे इस्लामी भाइयो ! ग़ीबत एक ऐसी आफ़त है कि इस से बहुत ही कम मुसलमान मह़फ़ूज़ होंगे, हमें ग़ीबत और दीगर गुनाहों से बचने, दूसरों को बचाने और गुनाहगारों के गुनाहों का बोझ कम करने की सई़ करनी चाहिये । दूसरों का बोझ कम करने की एक सूरत येह भी है कि जितना हो सके हम अपने ह़ुक़ूक़ मुसलमानों को मुआ़फ़ कर दें । इस की तरग़ीब दिलाते हुवे रसूले बे मिसाल, साह़िबे जूदो नवाल, ह़बीबे रब्बे ज़ुल जलाल, बीबी आमिना के लाल صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ कसरत के साथ येह इरशाद फ़रमाते : क्या तुम में से कोई एक इस बात से आ़जिज़ है कि वोह अबू ज़मज़म की त़रह़ हो । उन्हों ने अ़र्ज़ की : अबू ज़मज़म कौन है ? इरशाद फ़रमाया : पहले लोगों (या'नी पिछली उम्मत) में एक शख़्स था वोह सुब्ह़ के वक़्त यूं कहता : या अल्लाह करीम ! मैं ने आज के दिन अपनी इ़ज़्ज़त को उस आदमी पर सदक़ा कर दिया जो मुझ पर ज़ुल्म करे ।
(شُعَبُ الْاِیمان ج۶ ص۲۶۱ حدیث۸۰۸۲ )
शैखे़ त़रीक़त, अमीरे अहले सुन्नत دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ अपने रिसाले "ग़ुस्से का इ़लाज" सफ़ह़ा 32 पर नक़्ल फ़रमाते हैं : क़ियामत के रोज़ ए'लान किया