Book Name:Jahannam Say Bachany Waly Aamal
صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب! صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلٰی مُحَمَّد
मीठे मीठे इस्लामी भाइयो ! बयान को इख़्तिताम की त़रफ़ लाते हुवे आइये ! ईमान की ह़िफ़ाज़त के बारे में चन्द मदनी फूल सुनने की सआ़दत ह़ासिल करते हैं । पहले एक फ़रमाने मुस्त़फ़ा صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ मुलाह़ज़ा कीजिये । (1) इरशाद फ़रमाया : उन फ़ितनों से पहले नेक आ'माल के सिलसिले में जल्दी करो जो तारीक रात के ह़िस्सों की त़रह़ होंगे, एक आदमी सुब्ह़ को मोमिन होगा और शाम को काफ़िर होगा और शाम को मोमिन होगा और सुब्ह़ को काफ़िर होगा, इस के साथ साथ अपने दीन को दुन्यावी साज़ो सामान के बदले फ़रोख़्त कर देगा । (مُسلِم،حدیث:۱۱۸، ص۷۳ )
٭ एक मुसमलान के लिये उस की सब से क़ीमती मताअ़, उस का ईमान है, इस की ह़िफ़ाज़त की फ़िक्र हमें दुन्यावी अश्या से कहीं ज़ियादा होनी चाहिये । (तरबिय्यते औलाद, स. 80) ٭ आदमी को वक़्तन फ़-वक़्तन तौबा व तजदीदे ईमान व तजदीदे निकाह़ करते रहना चाहिये, अगर यक़ीनी त़ौर पर कलिमए कुफ़्रिय्या सरज़द हुवा, तो येह फ़र्ज़ है वरना मुस्तह़ब । (ईमान की ह़िफ़ाज़त, स. 9) ٭ आदमी को कभी अपने ऊपर या अपनी इत़ाअ़त व आ'माल पर भरोसा न चाहिये हर वक़्त ख़ुदा पर ए'तिमाद करे और उसी से बक़ाए ईमान की दुआ़ चाहे । (ईमान की ह़िफ़ाज़त, स. 21) ٭ ईमान की ह़िफ़ाज़त की फ़िक्र व कोशिश हर मुसलमान की इनफ़िरादी ज़िम्मेदारी है । (ईमान की ह़िफ़ाज़त, स. 1) ٭ जो ईमान से फिर कर या'नी मुर्तद हो कर मरेगा, वोह हमेशा हमेशा के लिये दोज़ख़ में रहेगा । (कुफ़्रिय्या कलिमात के बारे में सुवाल जवाब, स. 2) ٭ नेक आ'माल पर इस्तिक़ामत के इ़लावा ईमान की ह़िफ़ाज़त का एक ज़रीआ़ किसी पीरे कामिल से बैअ़त हो जाना भी है । (तरबिय्यते औलाद, स. 80) ٭ ह़ज फ़र्ज़ होने के बा वुजूद जिस ने कोताही की और बिग़ैर ह़ज अदा किये मर गया, तो उस का बुरा ख़ातिमा होने का शदीद ख़त़रा