Book Name:Jannat Ki Baharain
करूंगी, घूरने, झिड़कने और उलझने से बचूंगी । ٭ اُذْکُرُوااللّٰـہَ، تُوبُوْا اِلَی اللّٰـہِ صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْبِ، वग़ैरा सुन कर सवाब कमाने और सदा लगाने वाली की दिलजूई के लिये पस्त आवाज़ से जवाब दूंगी । ٭ इजतिमाअ़ के बा'द ख़ुद आगे बढ़ कर सलाम व मुसाफ़ह़ा और इनफ़िरादी कोशिश करूंगी । ٭ दौराने बयान मोबाइल के ग़ैर ज़रूरी इस्ति'माल से बचूंगी, न बयान रीकॊर्ड करूंगी, न ही और किसी क़िस्म की आवाज़ (कि इस की इजाज़त नहीं) । जो कुछ सुनूंगी, उसे सुन और समझ कर, उस पे अ़मल करने और उसे बा'द में दूसरों तक पहुंचा कर नेकी की दा'वत आम करने की सआदत ह़ासिल करूंगी ।
صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب! صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلٰی مُحَمَّد
मीठी मीठी इस्लामी बहनो ! अल्लाह पाक ने अपने मोमिनीन और अपने फ़रमां बरदार बन्दों के लिये आख़िरत में जन्नत की अबदी या'नी हमेशा रहने वाली ने'मतें तय्यार की हैं । आज हफ़्तावार सुन्नतों भरे इजतिमाअ़ में उन ने'मतों की ईमान अफ़रोज़ झल्कियां सुनती हैं । पहले येह समाअ़त फ़रमाएं कि जन्नत की येह अ़ज़ीमुश्शान ने'मतें किस के लिये हैं ? जो मोमिन ज़िन्दगी भर नेक आ'माल करता रहेगा, तो उस के लिये जन्नत की बिशारत है । चुनान्चे, पारह 5, सूरतुन्निसा, आयत नम्बर 124 में इरशाद होता है :
وَ مَنْ یَّعْمَلْ مِنَ الصّٰلِحٰتِ مِنْ ذَكَرٍ اَوْ اُنْثٰى وَ هُوَ مُؤْمِنٌ فَاُولٰٓىٕكَ یَدْخُلُوْنَ الْجَنَّةَ وَ لَا یُظْلَمُوْنَ نَقِیْرًا(۱۲۴) (پارہ:۵، النساء :۱۲۴)
तर्जमए कन्ज़ुल इ़रफ़ान : और जो कोई मर्द हो या औरत अच्छे अ़मल करे और वोह मुसलमान भी हो, तो येही लोग जन्नत में दाख़िल होंगे और उन पर तिल के बराबर भी ज़ुल्म नहीं किया जाएगा ।
ह़कीमुल उम्मत, ह़ज़रते अ़ल्लामा मुफ़्ती अह़मद यार ख़ान عَلَیْہِ رَحمَۃُ اللّٰہ ِالْحَنَّان इस आयते करीमा के तह़त इरशाद फ़रमाते हैं : जो भी इन्सान मर्द हो या औरत ब क़दरे त़ाक़त अ़मल करे नेक और हो वोह मोमिन सह़ीह़ुल अ़क़ीदा उस की जज़ा येह है कि वोह बा'दे क़ियामत जन्नत में जाएगा । मुत़ाबिक़े आ'माल उसे जन्नत का दरजा मिलेगा और उन पर तिल बराबर भी ज़ुल्म न