Book Name:Gunahon Ki Nahosat
पस याद रखिये ! मौत के बा'द हर शख़्स अपनी करनी का फल पाएगा । अगर दुन्या में अच्छे आ'माल किये होंगे, तो इस की जज़ा पाएगा और अगर ख़ुदा न ख़ास्ता नफ़्सो शैत़ान के बहकावे में आ कर ज़िन्दगी गुनाहों में बसर की, तो जहन्नम की सज़ा का मुस्तह़िक़ ठहरेगा । जैसा कि पारह 30, सूरतुज़्ज़िलज़ाल की आयत नम्बर 7 और 8 में इरशाद होता है :
فَمَنْ یَّعْمَلْ مِثْقَالَ ذَرَّةٍ خَیْرًا یَّرَهٗؕ(۷)وَ مَنْ یَّعْمَلْ مِثْقَالَ ذَرَّةٍ شَرًّا یَّرَهٗ۠(۸)
तर्जमए कन्ज़ुल इ़रफ़ान : तो जो एक ज़र्रा भर भलाई करे, वोह उसे देखेगा और जो एक ज़र्रा भर बुराई करे, वोह उसे देखेगा ।
यक़ीनन अ़क़्लमन्द वोही है जिस के दिलो दिमाग़ में गुनाहों की तबाहकारियां रासिख़ हों और वोह ख़ुद को न सिर्फ़ उन से बचाए बल्कि नेकियां कर के अल्लाह पाक की रिज़ा ह़ासिल करे मगर अफ़्सोस ! सद अफ़्सोस ! दीन से दूरी और इस्लामी मा'लूमात की कमी का नतीजा हमारे सामने है कि चहार जानिब गुनाहों का बाज़ार गर्म है, जिस त़रफ़ नज़र उठाइये बे अ़मली व बे राह रवी का दौर दौरा है, ह़ालांकि अह़कामे ख़ुदावन्दी से मुंह मोड़ने का नतीजा सिवाए तबाही व बरबादी के कुछ नहीं है ।
मीठी मीठी इस्लामी बहनो ! यक़ीनन गुनाहों से कभी भी कोई फ़ाइदा ह़ासिल नहीं हो सकता बल्कि इस में नुक़्सान ही नुक़्सान है । गुनाहों में किस क़दर नुह़ूसत है, इस की तबाही व बरबादी का अन्दाज़ा इस बात से लगाइये । चुनान्चे, अमीरुल मोमिनीन, ह़ज़रते सय्यिदुना उ़मर बिन ख़त़्त़ाब رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْہ ने फ़रमाया कि तुम अल्लाह पाक के इस फ़रमान से हरगिज़ धोके में न पड़ना :
مَنْ جَآءَ بِالْحَسَنَةِ فَلَهٗ عَشْرُ اَمْثَالِهَاۚ-وَ مَنْ جَآءَ بِالسَّیِّئَةِ فَلَا یُجْزٰۤى اِلَّا مِثْلَهَا (پ۸،الانعام: ۱۶۰)
तर्जमए कन्ज़ुल इ़रफ़ान : जो एक नेकी लाए, तो उस के लिये उस जैसी दस नेकियां हैं और जो कोई बुराई लाए, तो उसे सिर्फ़ उतना ही बदला दिया जाएगा ।