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Book Name:Faizan-e-Ashabe Suffah

कमज़ोर और दुब्ले थे आइए ! सुफ़्फ़ा वालों की ग़रीबी और कमज़ोरी के बारे में एक रिवायत सुनती हैं चुनान्चे,

            ह़ज़रते फ़ज़ाला बिन उ़बैद رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہ फ़रमाते हैं : नबिय्ये मोह़तरम, ताजदारे ह़रम صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ जब लोगों को नमाज़ पढ़ाते, तो कुछ सह़ाबए किराम عَلَیْہِمُ الرِّضْوَان नमाज़ के अन्दर ह़ालते क़ियाम में भूक की शिद्दत के सबब गिर पड़ते और येह सुफ़्फ़ा वाले थे ह़त्ता कि कुछ लोग केहने लगते : येह दीवाने हैं जब सरकारे मदीना, राह़ते क़ल्बो सीना صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ नमाज़ से फ़ारिग़ होते, तो उन की त़रफ़ मुतवज्जेह हो कर फ़रमाते : अगर तुम्हें मालूम हो जाए कि तुम्हारे लिए अल्लाह करीम के हां क्या (अज्रो सवाब) है, तो तुम इस बात को पसन्द करो कि तुम्हारे फ़ाके़ और ह़ाजतमन्दी में मज़ीद इज़ाफ़ा हो (ترمذی،کتاب الزہدباب ماجاء فی معیشۃ ۔۔۔الخ،۴/۱۶۲،حدیث:۲۳۷۵)

       प्यारी प्यारी इस्लामी बहनो ! ग़रीबों से मह़ब्बत करना सुन्नते अम्बिया है, ग़रीब लोग अमीरों से पेहले जन्नत में दाख़िल हो जाएंगे, जो ग़रीब परेशान ह़ाल होते हैं उन की दुआ़ जल्द क़बूल होती है, ग़रीबों को ह़िसाब देने में आसानी होगी, ग़रीबों की ख़्वाहिशात भी बसा अवक़ात कम होती हैं अल्लाह पाक हमें हर ह़ाल में ख़ुश रेहने की तौफ़ीक़ अ़त़ा फ़रमाए اٰمِیْن بِجَاہِ النَّبِیِ الْاَمِیْن صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّم

صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!       صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد

ग़ुर्बत नेमत है या ज़ह़मत

          प्यारी प्यारी इस्लामी बहनो ! ज़ाहिर ग़ुर्बत हमारे मुआ़शरे में ना पसन्दीदगी की निगाह से देखी जाती है जो ग़ुर्बत दीन और शरीअ़त से दूर कर दे, यक़ीनन वोह अच्छी नहीं जब कि वोह ग़ुर्बत जो शरीअ़त की पैरवी, अल्लाह पाक की ज़ात पर भरोसा और ख़ुद्दारी पर उभारे, यक़ीनन वोह अल्लाह पाक की नेमत है ऐसी ग़ुर्बत ही नबिय्ये रह़मत, शफ़ीए़ उम्मत صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ की चाहत, बहुत सारी फ़ज़ीलत और बे शुमार फ़वाइद का बाइ़स है, इसी वज्ह से अल्लाह वालों ने ग़ुर्बत को पसन्द फ़रमाया और मालो दौलत कमा कर इस से निकलने की कोशिश नहीं फ़रमाई

          सुफ़्फ़ा वालों की रौशन मिसाल हमारे सामने है, उन पाकीज़ा लोगों के लिए मालो दौलत जम्अ़ करना कुछ मुश्किल न था लेकिन उन्हों ने ऐसी चीज़ों से मुंह मोड़ कर और सिर्फ़ दीन की राह के लिए ख़ुद को वक़्फ़ कर के पेश आने वाली ग़ुर्बत को बरदाश्त कर के येह सबक़ दिया है कि वोह ग़ुर्बत अच्छी है जो नेकियों की त़रफ़ ले जाए, वोह ग़ुर्बत अच्छी है जो मालो दौलत के लालच से आज़ाद कर दे, वोह ग़ुर्बत अच्छी है जो इ़ल्मे दीन सीखने का सबब बन जाए, वोह ग़ुर्बत जो नेक आमाल पर उभारे, मालो दौलत की लालच से लाख गुना बेहतर है ।



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