Book Name:Faizan-e-Ashabe Suffah
صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب! صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد
सुफ़्फ़ा वालों का रौशन किरदार
प्यारी प्यारी इस्लामी बहनो ! सुफ़्फ़ा वालों ने अपनी ज़िन्दगियां इस अन्दाज़ से गुज़ारीं कि वोह आज तक उम्मत के लिए राहे नजात की ह़ैसिय्यत रखते हैं, उन का इख़्लास, तक़्वा, दुन्या से बे रग़बती, आ़जिज़ी, शौके़ इ़ल्म, ख़िदमते दीन, क़नाअ़त, अल्लाह करीम की ज़ात पर कामिल भरोसा, ख़ौफे़ ख़ुदा, इ़श्के़ मुस्त़फ़ा समेत तमाम अच्छी ख़ूबियां अपनी मिसाल आप हैं । अल्लाह पाक ने इस मुक़द्दस जमाअ़त को वोह मक़ाम अ़त़ा फ़रमाया है कि सिर्फ़ इन का ज़िक्र करना भी उस की रह़मतें पाने का सबब है । अल्लाह पाक ने इस मुक़द्दस जमाअ़त के तज़किरों में भी ऐसी तासीर रख दी है कि सिर्फ़ इन के ज़िक्र की बरकत से दिलों की दुन्या ज़ेरो ज़बर होने लगती है, आज भी इन पाकीज़ा लोगों की क़ुरबानियों का तज़किरा किया जाए, तो रोंगटे खड़े हो जाते हैं, आज भी इन पाकीज़ा लोगों की बेकसी और बेबसी का सोचा जाए, तो अ़क़्लें ह़ैरान रेह जाती हैं कि इतनी मुश्किलात में भी इ़ल्मे दीन ह़ासिल करने का ऐसा जज़्बा मरह़बा ! सद मरह़बा ! आज भी इन पाकीज़ा लोगों के वाक़िआ़त को सुना जाए, तो शायद आंखों से आंसू जारी हो जाएं, आज भी इन पाकीज़ा लोगों के सब्र और दीने इस्लाम पर साबित क़दमी के वाक़िआ़त का तज़किरा हो, तो हिम्मत और ह़ौसले की नई मन्ज़िलें त़ै होती हैं ।
आइए ! इन मर्दाने ख़ुदा में से ह़ज़रते अ़म्मार बिन यासिर رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہ का ज़िक्रे ख़ैर अमीरे अहले सुन्नत دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ की मश्हूर किताब "फै़ज़ाने नमाज़" से सुनती हैं ।
तज़किरए ह़ज़रते अ़म्मार बिन यासिर
प्यारी प्यारी इस्लामी बहनो ! सह़ाबए किराम رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہُمْ की बड़ी अ़ज़मत है । मक्की मदनी आक़ा صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ का फ़रमाने आ़लीशान है : मेरी उम्मत में मेरे सह़ाबा की मिसाल खाने में नमक की सी है कि खाना बिग़ैर नमक के दुरुस्त नहीं होता । (شرح السنہ،۷/۱۷۴حدیث:۳۷۵۶)
इस ह़दीसे पाक की शर्ह़ में है : यानी जैसे नमक होता है थोड़ा मगर सारे खाने को दुरुस्त कर देता है, ऐसे ही मेरे सह़ाबा, मेरी उम्मत में हैं थोड़े मगर सब की इस्लाह़ इन्ही के ज़रीए़ से है । रेल का पेहला डिब्बा जो इंजन से मुत्तसिल (यानी मिला हुवा) है, वोह सारी रेल को इंजन का फै़ज़ पहुंचाता है, इंजन से वोह (पेहला डिब्बा) खींचता है और सारे डिब्बे उस के ज़रीए़ खींचते हैं । (मिरआतुल मनाजीह़, 8 / 343)
अ़रब की सर ज़मीन जब इस्लाम की नूरानी किरनों से मुनव्वर हुई, तो ह़ज़रते अ़म्मार बिन यासिर رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہ के साथ साथ वालिदे माजिद, ह़ज़रते यासिर और वालिदए माजिदा,