Book Name:Faizan-e-Ashabe Suffah
صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب! صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد
प्यारी प्यारी इस्लामी बहनो ! सह़ाबए किराम عَلَیْہِمُ الرِّضْوَان की शान ऐसी बे मिसाल है कि कोई उम्मती चाहे कैसे ही मर्तबे पर फ़ाइज़ हो, इन के मक़ामो मर्तबे को नहीं पहुंच सकता । येह वोह मुबारक हस्तियां हैं जिन्हों ने सब से पेहले इस्लाम क़बूल किया, येह वोह ख़ुश नसीब अफ़राद हैं जिन्हें अल्लाह पाक ने अपने मह़बूब صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ की सोह़बत इख़्तियार करने के लिए चुन लिया, येही वोह मुक़द्दस जमाअ़त है जिसे ह़ुज़ूरे अन्वर صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने सब से पेहले नेकी की दावत दी, येही वोह पाकीज़ा लोग हैं जिन्हों ने दीने इस्लाम की ख़ात़िर त़रह़ त़रह़ के ज़ुल्म बरदाश्त किए, येही वोह लोग हैं जिन्हों ने इब्तिदाए इस्लाम के मुश्किल तरीन दौर में भूक व प्यास बरदाश्त कर के, पेट पर पथ्थर बांध कर, क़रीबी रिश्तेदारों, अपनों और ग़ैरों की दुश्मनियों का सामना कर के भी परचमे इस्लाम को बुलन्द रखा । यक़ीनन इन हस्तियों की दिन रात की मेह़नतों और क़ुरबानियों का नतीजा है कि आज हर त़रफ़ दीने इस्लाम की बहारें हैं ।
प्यारी प्यारी इस्लामी बहनो ! यूं तो तमाम ही सह़ाबए किराम عَلَیْہِمُ الرِّضْوَان, नबिय्ये अकरम صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ के प्यारे और हिदायत के रौशन सितारे हैं, सब ही हमारी आंखों का नूर और दिल का सुरूर हैं लेकिन उन में कुछ सह़ाबए किराम عَلَیْہِمُ الرِّضْوَان ऐसे भी हैं जो ह़ुज़ूरे पुरनूर صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ की ख़िदमत में सिर्फ़ इ़ल्मे दीन सीखने के लिए ह़ाज़िर रहा करते थे, जिन्हें "अस्ह़ाबे सुफ़्फ़ा" कहा जाता है । आज हम इन्ही की शान और दीन की ख़ात़िर पेश की गईं क़ुरबानियों से मुतअ़ल्लिक़ सुनेंगी । इन ह़ज़रात में से चन्द बड़े और मश्हूर सह़ाबए किराम عَلَیْہِمُ الرِّضْوَان की सीरत के साथ साथ कई अहम निकात भी सुनने की सआ़दत ह़ासिल करेंगी ।
इन ह़ज़रात की ज़िन्दगियों से हमें क्या सबक़ मिलता है ? वोह क्या वुजूहात थीं जिन के सबब इन मुक़द्दस हस्तियों ने मस्जिदे नबवी में ही ठेहरे रेहने को तरजीह़ दी ? येह सब कुछ इस बयान में हम सुनेंगी । आइए ! सब से पेहले अस्ह़ाबे सुफ़्फ़ा عَلَیْہِمُ الرِّضْوَان में से एक मश्हूर सह़ाबी, ह़ज़रते अबू हुरैरा رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہ का दिलचस्प वाक़िआ़ सुनती हैं । चुनान्चे,
दूध का एक पियाला
ह़ज़रते अबू हुरैरा رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہ फ़रमाते हैं : भूक की शिद्दत की वज्ह से एक दिन मैं उस रास्ते पर बैठ गया जिस से लोग बाहर जाते थे । जाने दो आ़लम, नबिय्ये मोह़तरम صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ मेरे पास से गुज़रे, तो मुझे देख कर मुस्कुराए और मेरा चेहरा देख कर मेरी ह़ालत समझ गए । फ़रमाया : ऐ अबू हुरैरा ! मैं ने अ़र्ज़ की : लब्बैक या रसूलल्लाह (صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ) ! फ़रमाया : मेरे साथ आ जाओ । मैं पीछे पीछे चल दिया, जब मदीने के ताजवर, रसूलों