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Book Name:Faizan-e-Ashabe Suffah

ह़ज़रते बीबी सुमय्या और भाई ह़ज़रते अ़ब्दुल्लाह رَضِىَ اللہُ عَنْہُمْ اَجْمَعِیْن भी ईमान की दौलत से मालामाल हुवे (طبقات ابن سعد ج۳ص۱۸۶)

दीने इस्लाम की ख़ात़िर क़ुरबानियां

          चूंकि येह मुक़द्दस घराना ग़ुलामी की ज़िन्दगी गुज़ार रहा था, इस लिए कुफ़्फ़ारे क़ुरैश पूरे घराने को त़रह़ त़रह़ की तक्लीफे़ं देने लगे, ह़ज़रते अ़म्मार رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہ के सीने पर कभी भारी पथ्थर रख देते, तो कभी पानी में ग़ौत़े दे कर बेह़ाल कर देते और कभी आग से जिस्म दाग़दार कर के निढाल कर देते थे (الکامل فی التاریخ،۱/۵۸۹) यहां तक कि आप की पीठ मुबारक उन ज़ख़्मों से भर गई किसी ने आप की पीठ शरीफ़ को देखा, तो पूछा : येह कैसे निशानात हैं ? इरशाद फ़रमाया : कुफ़्फ़ारे क़ुरैश मुझे मक्कए मुकर्रमा की तपती हुई पथरीली ज़मीन पर नंगी पीठ लिटाते और सख़्त तक्लीफे़ं पहुंचाते थे, येह उन ज़ख़्मों के निशानात हैं (طبقات ابن سعد،۳ /۱۸۸)

जन्नत अ़म्मार की मुश्ताक़ है

          ह़ज़रते अ़म्मार बिन यासिर رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہ की क़ुरबानियों के बदले में बारगाहे रिसालत से आप को येह एज़ाज़ मिला कि सरकारे मदीना صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने इरशाद फ़रमाया : जन्नत अ़म्मार की मुश्ताक़ (यानी आरज़ूमन्द) है (ترمذی،۵/۴۳۸،حدیث:۳۸۲۲) जिस ने अ़म्मार से बुग़्ज़ रखा, अल्लाह पाक उस से नाराज़ हो (مسند امام احمد،۶/۶،حدیث:۱۶۸۱۴) सरवरे काइनात صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ के साथ आप तमाम ग़ज़्वात में शरीक हुवे (تاریخ ابن عساکر،۴/۳۵۶)

वफ़ात शरीफ़

          ह़ज़रते अ़म्मार बिन यासिर رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہ ने अमीरुल मोमिनीन, ह़ज़रते उ़मर फ़ारूक़ رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہ के दौरे ख़िलाफ़त में 21 महीने तक कूफ़ा की गवर्नरी के फ़राइज़ सर अन्जाम दिए और बरोज़ बुध, 7 सफ़रुल मुज़फ़्फ़र 37 हिजरी में जंगे सिफ़्फ़ीन में ह़ज़रते मौला अ़ली, शेरे ख़ुदा رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہ की ह़िमायत में लड़ते हुवे जामे शहादत नोश फ़रमाया, उस वक़्त आप की उ़म्र मुबारक 93 साल थी (تاریخ ابن عساکر،۴۳ /۳۵۹ ، ۴۴۹) अल्लाह पाक की उन पर रह़मत हो और उन के सदके़ हमारी बे ह़िसाब मग़फ़िरत हो اٰمِیْن بِجَاہِ النَّبِیِ الْاَمِیْن صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ

صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!       صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد

दीनी मुत़ालआ़ करने के आदाब

          प्यारी प्यारी इस्लामी बहनो ! आइए ! मुत़ालआ़ करने के चन्द आदाब सुनने की सआ़दत ह़ासिल करती हैं । पेहले 2 फ़रामीने मुस्त़फ़ा صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ मुलाह़ज़ा कीजिए : (1) इरशाद फ़रमाया : बेशक इ़ल्म सीखने से आता है । (کنزالعمال،۱۰/۱۰۴،حدیث:۲۹۲۵۲) (2) इरशाद फ़रमाया : दुन्या लानती है, अल्लाह पाक के ज़िक्र, उस के दोस्त, दीनी इ़ल्म पढ़ने और पढ़ाने



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