Book Name:Ummat e Mustafa Ki Khasusiyaat
صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب! صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد
प्यारी प्यारी इस्लामी बहनो ! आइए ! उम्मते मुस्त़फ़ा के मज़ीद फ़ज़ाइलो कमालात के बारे में सुनती हैं । चुनान्चे,
उम्मते मह़बूब के 6 फ़ज़ाइल
ह़कीमुल उम्मत, ह़ज़रते मुफ़्ती अह़मद यार ख़ान नई़मी رَحْمَۃُ اللّٰہ عَلَیْہ पारह 4, सूरए आले इ़मरान की आयत नम्बर 110 की तफ़्सीर में फ़रमाते हैं : ह़ुज़ूर صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ की उम्मत के बे शुमार फ़ज़ाइल हैं, यहां उन में से कुछ अ़र्ज़ किए जाते हैं । (1) येह उम्मत आख़िरे उमम (यानी उम्मतों में से आख़िरी उम्मत) है, गुज़श्ता (पिछली) उम्मतों के उ़यूब क़ुरआने करीम में बयान हुवे जिस से वोह सारी दुन्या में बदनाम हो गईं मगर इस उम्मत के बाद न कोई नया नबी आएगा, न कोई आसमानी किताब जिस में इस के उ़यूब बयान हों, ग़रज़ येह कि इस उम्मत की पर्दापोशी की गई (यानी ऐ़बों को छुपाया गया) । (2) पिछली कुतुब में इस उम्मत के औसाफ़ (ख़ूबियों) का ज़िक्र तो था, इन के उ़यूब का तज़किरा न था, जिस के बाइ़स वोह लोग इस उम्मत में होने की तमन्ना करते थे । (3) जैसे रब्बे करीम ने दीगर अम्बियाए किराम (عَلَیْہِمُ الصَّلٰوۃُ وَالسَّلَام) को नाम ले कर पुकारा, हमारे ह़ुज़ूरे अन्वर صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ को अल्क़ाब से । इसी त़रह़ उन की उम्मतों को नसबी नामों से पुकारा गया : (یٰبَنِیۡۤ اِسْرَآءِیۡلَ،یٰۤاَیُّہَاالَّذِیۡنَ ہَادُوۡۤا) वग़ैरा मगर इस उम्मत को (یٰۤاَیُّہَا الَّذِیۡنَ اٰمَنُوۡا) (ऐ ईमान वालो !) के दिलकश व प्यारे ख़ित़ाब से नवाज़ा गया । (4) पिछली उम्मतें अपने नबियों के बाद सारी ही गुमराह हो जाती थीं मगर इस उम्मत में ता क़ियामत (यानी क़ियामत तक) एक फ़िरक़ा (यानी अहले सुन्नत व जमाअ़त) ह़क़ पर रहेगा । (5) इस उम्मत में हमेशा औलियाउल्लाह व उ़लमाए रब्बानी होते रहेंगे, जिस दरख़्त की जड़ हरी रहे उस में फल फूल आते ही रेहते हैं । (6) येही उम्मत कल क़ियामत के दिन बारगाहे इलाही में गुज़श्ता (पिछले) नबियों की गवाही देगी कि ख़ुदाया ! इन्हों ने अपनी क़ौमों को तब्लीग़ की थी । (तफ़्सीरे नई़मी, पा. 4, आले इ़मरान, तह़तुल आयत : 110, 4 / 91)
صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب! صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد
प्यारी प्यारी इस्लामी बहनो ! उम्मते सरकार को रब्बे करीम ने जिन ख़ुसूसिय्यात से नवाज़ा है उन में से एक ख़ुसूसिय्यत येह भी है कि अल्लाह पाक ने इस उम्मत को ह़ाफ़िज़े की मज़बूत़ी की अ़ज़ीमुश्शान नेमत भी अ़त़ा फ़रमाई है । चुनान्चे,