Book Name:Ummat e Mustafa Ki Khasusiyaat
وَسَلَّمَ तमाम अम्बियाए किराम عَلَیْہِمُ الصَّلٰوۃُ وَالسَّلَام में सब से अफ़्ज़लो आला हैं, आपصَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ के सदके़ में आप صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ की उम्मत भी पिछली तमाम उम्मतों से अफ़्ज़ल है ।
याद रहे ! अफ़्ज़लिय्यत की वज्ह हरगिज़ हरगिज़ येह नहीं कि इस उम्मत में कसरत से सरमाया दार होंगे, इन में इन्जीनियर्ज़ और डॉक्टर्ज़ बहुत ज़ियादा होंगे, न ही फ़ज़ीलत की येह वज्ह है कि येह बहादुर और मज़बूत़ होंगे या येह इस लिए अफ़्ज़ल हैं कि निहायत ही चालाक व होश्यार होंगे बल्कि इन की अफ़्ज़लिय्यत की एक वज्ह येह भी है कि येह नेकी की दावत देने और बुराई से मन्अ़ करने के अहम मन्सब पर फ़ाइज़ हैं । चुनान्चे, पारह 4, सूरए आले इ़मरान की आयत नम्बर 110 में अल्लाह पाक का फ़रमाने आ़लीशान है :
كُنْتُمْ خَیْرَ اُمَّةٍ اُخْرِجَتْ لِلنَّاسِ تَاْمُرُوْنَ بِالْمَعْرُوْفِ وَ تَنْهَوْنَ عَنِ الْمُنْكَرِ وَ تُؤْمِنُوْنَ بِاللّٰهِؕ (پ۴،اٰل عمران:۱۱۰)
तर्जमए कन्ज़ुल इ़रफ़ान : (ऐ मुसलमानो !) तुम बेहतरीन उम्मत हो जो लोगों (की हिदायत) के लिए ज़ाहिर की गई, तुम भलाई का ह़ुक्म देते हो और बुराई से मन्अ़ करते हो और अल्लाह पर ईमान रखते हो ।
तफ़्सीरे ख़ाज़िन में इस आयते मुबारका के तह़्त लिखा है : इस उम्मत को नेकी का ह़ुक्म देने और बुराई से मन्अ़ करने की बदौलत दीगर तमाम उम्मतों पर फ़ज़ीलत दी गई है और इसी सबब से येह उम्मत तमाम उम्मतों में सब से बेहतरीन उम्मत है । पस साबित हुवा ! इस उम्मत के बेहतरीन होने की वज्ह (Reason) इस के अफ़राद का नेकी की दावत देना और बुराई से मन्अ़ करना है । (تفسیرِ خازن،پ ۴،آل عمران،تحت الآیة:۱۱۰ ،۱/۲۸۹)
अब हमें अपने बारे में ग़ौर करना चाहिए कि क्या हम नेकी की दावत देने वालियां और बुराई से रोकने वालियां हैं ? याद रहे ! अगर हमारा गुमाने ग़ालिब हो कि बुराई करने वाली को बुराई से रोकेंगी, तो वोह बुराई से रुक जाएगी, तो हमें रोकना वाजिब है, न रोकेंगी, तो गुनाहगार होंगी ।
प्यारी प्यारी इस्लामी बहनो ! अल्लाह पाक का एह़सान है कि आ़शिक़ाने रसूल की मदनी तह़रीक दावते इस्लामी का मदनी माह़ोल हमें नसीब है । क़ुरबान जाइए ! अमीरे अहले सुन्नत, ह़ज़रते अ़ल्लामा मौलाना मुह़म्मद इल्यास अ़त़्त़ार क़ादिरी دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ की मुबारक सोच पर, जिन्हों ने एक अ़ज़ीमुश्शान मदनी मक़्सद हमें अ़त़ा फ़रमाया है । आ़शिक़ाने रसूल की मदनी तह़रीक दावते इस्लामी नमाज़ी बढ़ाओ तह़रीक है, काश ! हम भी इस तह़रीक का ह़िस्सा बन कर अ़मली त़ौर पर नेकी की दावत देने वालियों में शामिल हो जाएं । नेकी की दावत आ़म करने की तो बहुत ज़ियादा ज़रूरत है, इस के लिए हमें वक़्त की क़ुरबानी देनी होगी ।