Ummat e Mustafa Ki Khasusiyaat

Book Name:Ummat e Mustafa Ki Khasusiyaat

त़ाऊ़न इस उम्मत के लिए रह़मत है !

          प्यारी प्यारी इस्लामी बहनो ! त़ाऊ़न एक ऐसी जान लेवा वबाई बीमारी है जिस को डॉक्टर प्लेग (Plague) केहते हैं इस बीमारी में गरदन, बग़लों और इन के किनारे में आम की गुठली के बराबर गिल्टियां निकल आती हैं जिन में बे पनाह (बहुत ज़ियादा) दर्द और ना क़ाबिले बरदाश्त सोज़िश होती है, शदीद बुख़ार चढ़ जाता है, आंखें सुर्ख़ (लाल) हो कर दर्दनाक जलन से शोले की त़रह़ जलने लगती हैं, (बिल आख़िर) मरीज़ शिद्दते दर्द और शदीद बेचैनी बे क़रारी में तड़प तड़प कर बहुत जल्द मर जाता है (अ़जाइबुल क़ुरआन, . 261)

          याद रहे ! त़ाऊ़न का येह तबाह कुन मरज़ पिछली उम्मतों के लिए अ़ज़ाब मुक़र्रर किया गया था मगर येह उम्मते मह़बूब की ख़ुसूसिय्यात में से है कि अल्लाह पाक ने अपने मदनी ह़बीब صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ के सदके़ में इसी मरज़ को मुसलमानों के लिए बाइ़से रह़मत बना दिया चुनान्चे,

उम्मते मुह़म्मदिय्या पर अल्लाह करीम का ख़ास फ़ज़्लो करम

          बुख़ारी शरीफ़ की ह़दीसे पाक में है : रसूले अन्वर صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने इरशाद फ़रमाया : त़ाऊ़न एक अ़ज़ाब था कि अल्लाह पाक जिस पर चाहता, इसे भेजता फिर अल्लाह करीम ने मोमिनीन के लिए इसे रह़मत बना दिया, तो जो शख़्स त़ाऊ़न फैलने के ज़माने में अपने शहर में सब्र के साथ सवाब ह़ासिल करने के लिए इस यक़ीन के साथ ठेहरा रहे कि उसे वोही पहुंचेगा जो अल्लाह करीम ने उस के लिए लिख दिया है, तो उस के लिए शहीद की मिस्ल सवाब है (بخاری ،کتاب الطب ، باب اجر الصابر فی الطاعون ،۴/۳۰ حدیث: ۵۷۳۴)

       ह़ज़रते अ़ल्लामा ग़ुलाम रसूल रज़वी رَحْمَۃُ اللّٰہ عَلَیْہ फ़रमाते हैं : इस ह़दीस से वाज़ेह़ होता है कि इस उम्मते मुह़म्मदिय्या पर अल्लाह करीम की बहुत मेहरबानी है क्यूंकि जो बीमारी दूसरी उम्मतों के लिए अ़ज़ाब मुक़र्रर की गई, वोह इस उम्मत के लिए अल्लाह पाक की रह़मत है त़ाऊ़न बनी इसराईल के लिए अ़ज़ाब और इस उम्मत के लिए रह़मत है (تفہیم البخاری، ۵/۳۵۵)

            दूसरे मक़ाम पर फ़रमाया : इस उम्मत के मोमिनों के लिए त़ाऊ़न को रह़मत किया (यानी बनाया) है, इस का रह़मत होना इस एतिबार से है कि   येह शहीद के सवाब को शामिल है अगर्चे सूरत के एतिबार से सख़्त तक्लीफ़ देह है (تفہیم ا لبخار ی،  ۸/۸۰۰)

       سُبْحٰنَ اللّٰہ ! अल्लाह करीम की रह़मत पर क़ुरबान ! उस ने रह़मते आ़लम صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ की उम्मत के लिए त़ाऊ़न कि जो पिछली उम्मतों के लिए अ़ज़ाब मुक़र्रर था, इस उम्मत के लिए इसे रह़मत बना दिया, जिस से येह अन्दाज़ा लगाना ज़रा भी