Book Name:Ummat e Mustafa Ki Khasusiyaat
सीना तेरी सुन्नत का मदीना बने आक़ा
जन्नत में पड़ोसी मुझे तुम अपना बनाना
खाना खाने की सुन्नतें और आदाब
प्यारी प्यारी इस्लामी बहनो ! आइए ! मक्तबतुल मदीना की किताब "सुन्नतें और आदाब" से खाना खाने की सुन्नतें और आदाब सुनती हैं : ٭ हर खाने से पेहले अपने हाथ पहोंचों तक धो लीजिए । रसूले पाक صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने फ़रमाया : जो येह पसन्द करे कि अल्लाह पाक उस के घर में बरकत ज़ियादा करे, तो उसे चाहिए कि जब खाना ह़ाज़िर किया जाए, तो वुज़ू करे और जब उठाया जाए, तब भी वुज़ू करे । (ابن ماجہ،کتاب الاطعمہ،باب الوضوء عند الطعام ،۴/۹،حدیث:۳۲۶۰) मुफ़्ती अह़मद यार ख़ान नई़मी رَحْمَۃُ اللّٰہ عَلَیْہ लिखते हैं : इस (यानी खाने के वुज़ू) के माना हैं : हाथ व मुंह की सफ़ाई करना कि हाथ धोना, कुल्ली कर लेना । (मिरआतुल मनाजीह़, 6 / 32) ٭ खाने से पेहले जूते उतार लीजिए । ٭ खाने से पेहले بِسْمِ اللہِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِیْم पढ़ लीजिए । ٭ अगर खाने के शुरूअ़ में बिस्मिल्लाह पढ़ना भूल जाएं, तो याद आने पर بِسْمِ اللہِ اَوَّلَہٗ وَاٰخِرَہ पढ़ लीजिए । ٭ खाने से पेहले येह दुआ़ पढ़ ली जाए, तो अगर खाने में ज़हर भी होगा, तो اِنْ شَآءَ اللّٰہ असर नहीं करेगा । (दुआ़ येह है :) بِسْمِ اللہِ الَّذِیْ لَایَضُرُّ مَعَ اسْمِہٖ شَیْءٌ فِی الْاَرْضِ وَلَا فِی السَّمَآءِ یَاحَیُّ يَاقَیُّوْمُ (यानी अल्लाह पाक के नाम से शुरूअ़ करती हूं जिस के नाम की बरकत से ज़मीनो आसमान की कोई चीज़ नुक़्सान नहीं पहुंचा सकती, ऐ हमेशा से ज़िन्दा व क़ाइम रेहने वाले) (مسند الفردوس،۱/۲۷۴،حدیث:۱۹۵۵) ٭ सीधे हाथ से खाइए । ٭ अपने सामने से खाइए । ٭ खाने में किसी क़िस्म का ऐ़ब न लगाइए, मसलन : येह न कहिए कि मज़ेदार नहीं, कच्चा रेह गया है, फीका रेह गया क्यूंकि खाने में ऐ़ब निकालना मक्रूह व ख़िलाफे़ सुन्नत है बल्कि जी चाहे तो खा लीजिए, वरना हाथ रोक लीजिए । ٭ आला ह़ज़रत, इमामे अहले सुन्नत, मौलाना शाह इमाम अह़मद रज़ा ख़ान رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ लिखते हैं : खाने में ऐ़ब निकालना अपने घर पर भी न चाहिए, मक्रूह व ख़िलाफे़ सुन्नत है । (सरकारे दो आ़लम صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّم की) आ़दते करीमा येह थी कि पसन्द आया, तो तनावुल फ़रमाया, वरना नहीं और पराए घर ऐ़ब निकालना तो (इस में) मुसलमानों की दिल शिकनी (दिल दुखाना) है और कमाले ह़िर्स व बे मुरव्वती पर दलील है ।
صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب! صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد