Ummat e Mustafa Ki Khasusiyaat

Book Name:Ummat e Mustafa Ki Khasusiyaat

मुश्किल नहीं कि अल्लाह पाक अपने प्यारे रसूल صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ और आप صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ की उम्मत से कितनी मह़ब्बत फ़रमाता है ज़रा सोचिए ! गुनाहों के सबब अगर इस उम्मत के लिए भी त़ाऊ़न को अ़ज़ाब बना दिया जाता, तो किस क़दर तक्लीफ़ आज़माइश होती लिहाज़ा हमें चाहिए कि हम अल्लाह पाक की ना फ़रमानियों से ख़ुद भी बचें और दूसरी इस्लामी बहनों को भी बचाएं, ख़ूब ख़ूब नेकियां करें और सुन्नतों भरी ज़िन्दगी गुज़ारें

          اَلْحَمْدُ لِلّٰہ आ़शिक़ाने रसूल की मदनी तह़रीक दावते इस्लामी के मदनी माह़ोल की बरकत से गुनाहों से नफ़रत, नेकियों से मह़ब्बत और सुन्नतों पर अ़मल का जज़्बा नसीब होता है, लिहाज़ा इस मदनी माह़ोल से वाबस्ता रेह कर 8 मदनी कामों में अ़मली त़ौर पर शामिल हो कर नेकियों का ज़ख़ीरा जम्अ़ करते हुवे राहे आख़िरत के लिए सामाने आख़िरत जम्अ़ कीजिए याद रहे !     8 मदनी कामों में से एक मदनी काम "मदनी इनआ़मात" के मुत़ाबिक़ रोज़ाना ग़ौरो फ़िक्र करते हुवे हर इस्लामी माह की पेहली तारीख़ को अपने यहां की ज़िम्मेदार को मदनी इनआ़मात का रिसाला जम्अ़ करवाना भी है

صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!       صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد

          प्यारी प्यारी इस्लामी बहनो ! शबे क़द्र वोह अ़ज़ीमुश्शान रात है जिस की अहम्मिय्यत फ़ज़ीलत को मुसलमानों का बच्चा बच्चा जानता है क्यूंकि इस रात में क़ुरआने करीम उतारा गया, येह रात हज़ार महीनों से अफ़्ज़ल है, इस रात की फ़ज़ीलत में क़ुरआने करीम के तीसवें पारे में एक मुकम्मल (Complete) सूरत भी है, इस के इ़लावा इस रात के और भी बहुत से फ़ज़ाइलो बरकात किताबों में मौजूद हैं

          याद रहे ! इस उम्मत से पेहले भी कई उम्मतें आईं मगर किसी को भी येह अ़ज़ीमुश्शान नेमत नहीं मिली मगर रब्बे करीम ने मक्के मदीने के ताजदार صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ की उम्मत को येह शरफ़ बख़्शा कि इसे शबे क़द्र जैसी अ़ज़ीमुश्शान और मुबारक रात का तोह़फ़ा अ़त़ा फ़रमाया चुनान्चे,

शबे क़द्र अ़त़ा की गई

          ह़ज़रते अ़ब्दुल्लाह बिन अ़ब्बास رَضِیَ اللّٰہُ عَنْھُمَا फ़रमाते हैं : सरकारे मदीना صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ के पास बनी इसराईल के एक शख़्स का तज़किरा हुवा जिस ने एक हज़ार माह अल्लाह करीम की राह में लड़ाई की । सह़ाबए किराम عَلَیْہِمُ الرِّضْوَان को इस से बहुत तअ़ज्जुब हुवा और तमन्ना करने लगे : काश ! उन के लिए भी ऐसा मुमकिन होता । आप صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने अल्लाह करीम की बारगाह में अ़र्ज़ की : ऐ मेरे रब्बे करीम ! तू