Book Name:Ummat e Mustafa Ki Khasusiyaat
की मक्खी की भिनभिनाहट की त़रह़ होंगी और दोज़ख़ में उन में से वोही शख़्स दाख़िल होगा जो नेकियों से इस त़रह़ ख़ाली हो जैसे पथ्थर दरख़्त के पत्तों से ख़ाली होता है । येह केह कर ह़ज़रते मूसा عَلَیْہِ السَّلَام ने अ़र्ज़ की : ऐ मेरे परवर दगार ! तू उन्हें मेरी उम्मत बना दे । अल्लाह पाक ने इरशाद फ़रमाया : ऐ मूसा ! वोह अह़मदे मुज्तबा, मक्की मदनी मुस्त़फ़ा (صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ) की उम्मत है । जब ह़ज़रते मूसा عَلَیْہِ السَّلَام को इस फ़ज़ीलत से तअ़ज्जुब होने लगा जो अल्लाह पाक ने रसूले पाक صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ और उन की उम्मत को अ़त़ा फ़रमाई, तो केहने लगे : "काश ! मैं ह़ज़रत मुह़म्मदे मुस्त़फ़ा, अह़मदे मुज्तबा صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ के सह़ाबा में से होता ।" तो अल्लाह पाक ने उन की रिज़ा के लिए 3 आयाते मुबारका उतारीं । चुनान्चे, पारह 9, सूरतुल आराफ़ की आयत नम्बर 144 और 145 में इरशाद होता है :
یٰمُوْسٰۤى اِنِّی اصْطَفَیْتُكَ عَلَى النَّاسِ بِرِسٰلٰتِیْ وَ بِكَلَامِیْ ﳲ فَخُذْ مَاۤ اٰتَیْتُكَ وَ كُنْ مِّنَ الشّٰكِرِیْنَ(۱۴۴) وَ كَتَبْنَا لَهٗ فِی الْاَلْوَاحِ مِنْ كُلِّ شَیْءٍ مَّوْعِظَةً وَّ تَفْصِیْلًا لِّكُلِّ شَیْءٍۚ-فَخُذْهَا بِقُوَّةٍ وَّ اْمُرْ قَوْمَكَ یَاْخُذُوْا بِاَحْسَنِهَاؕ-سَاُورِیْكُمْ دَارَ الْفٰسِقِیْنَ(۱۴۵) (پ۹،الاعراف:۱۴۴، ۱۴۵)
तर्जमए कन्ज़ुल इ़रफ़ान : (अल्लाह ने) फ़रमाया : ऐ मूसा ! मैं ने अपनी रिसालतों और अपने कलाम के साथ तुझे लोगों पर मुन्तख़ब कर लिया, तो जो मैं ने तुम्हें अ़त़ा फ़रमाया है उसे ले लो और शुक्र गुज़ारों में से हो जाओ और हम ने इस के लिए (तौरात की) तख़्तियों में हर चीज़ की नसीह़त और हर चीज़ की तफ़्सील लिख दी (और फ़रमाया) इसे मज़बूत़ी से पकड़ लो और अपनी क़ौम को ह़ुक्म दो कि वोह इस की अच्छी बातें इख़्तियार करें, अ़न क़रीब मैं तुम्हें ना फ़रमानों का घर दिखाऊंगा ।
٭ पारह 9, सूरतुल आराफ़ की आयत नम्बर 159 में इरशाद हुवा :
وَ مِنْ قَوْمِ مُوْسٰۤى اُمَّةٌ یَّهْدُوْنَ بِالْحَقِّ وَ بِهٖ یَعْدِلُوْنَ(۱۵۹) (پ۹،الاعراف:۱۵۹)
तर्जमए कन्ज़ुल इ़रफ़ान : और मूसा की क़ौम से एक गिरोह वोह है जो ह़क़ की राह बताता है और उसी के मुत़ाबिक़ इन्साफ़ करता है ।
येह सुन कर ह़ज़रते मूसा عَلَیْہِ السَّلَام पूरी त़रह़ राज़ी हो गए । (अल्लाह वालों की बातें, स. 516 ता 519, मुलख़्ख़सन)
صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب! صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد
سُبْحٰنَ اللّٰہ ! आप ने सुना ! उम्मते मुस्त़फ़ा को रब्बे करीम ने दो, चार या पांच नहीं बल्कि बे शुमार फ़ज़ाइलो बरकात और कई ख़ुसूसिय्यात से नवाज़ा है । वोह तौरात शरीफ़ जिसे अल्लाह पाक ने ह़ज़रते मूसा عَلَیْہِ السَّلَام पर उतारा, उस मुक़द्दस आसमानी किताब के अन्दर भी इस अ़ज़ीम उम्मत के फ़ज़ाइलो कमालात और शानदार ख़ुसूसिय्यात को बयान किया गया है, ह़त्ता कि जब ह़ज़रते मूसा عَلَیْہِ السَّلَام को इ़ल्म हुवा