Book Name:Tabarukat Ki Barakaat
राबित़े में नहीं आ रही तो बद गुमानी, किसी इस्लामी बहन ने वक़्त दिया और आने में ताख़ीर हो गई तो बद गुमानी, किसी के पास थोड़े ही अ़र्से में अच्छा मकान और दीगर सहूलिय्यात आ गईं तो बद गुमानी, अल ग़रज़ ! हमारा मुआ़शरा इस वक़्त बद गुमानी की ख़ौफ़नाक आफ़त की लपेट में है ।
याद रखिये ! बद गुमानी दीगर कई गुनाहों में मुब्तला करवा देती है । ٭ बद गुमानी दूसरों के ऐ़ब तलाश करने में लगाती है । ٭ बद गुमानी ह़सद पर उभारती है । ٭ बद गुमानी ग़ीबत करवाती है । ٭ बद गुमानी दिल में नफ़रतों के बीज उगाती है । ٭ बद गुमानी आपस में मह़ब्बतें ख़त्म कर के मज़ीद दूरियां बढ़ाती है । ٭ बद गुमानी अच्छे सुलूक से मह़रूम करवाती है । ٭ बद गुमानी इन्सान को बद अख़्लाक़ बनाती है । ٭ बद गुमानी इल्ज़ाम लगाने पर उभारती है । अल ग़रज़ ! बद गुमानी दुन्या और आख़िरत में रुस्वा करवाती है । लिहाज़ा अ़क़्लमन्द वोही है जो बद गुमानी की बजाए अच्छे गुमान की आ़दत अपनाए क्यूंकि ٭ अच्छा गुमान एक उ़म्दा इ़बादत है । ٭ अच्छा गुमान गुनाहों से बचाने वाला है । ٭ अच्छा गुमान रखना ईमान के तक़ाज़ों में से है । ٭ अच्छा गुमान ईमान का ह़िस्सा है । ٭ अच्छा गुमान अल्लाह वालों की आ़दात में से है । ٭ अच्छा गुमान सवाब का बाइ़स है । ٭ अच्छा गुमान दूसरों की इ़ज़्ज़तों की ह़िफ़ाज़त करना सिखाता है । ٭ अच्छे गुमान से सुकून और क़रार मिलता है । ٭ अच्छा गुमान शैत़ान के धोके से बचाता है । ٭ अच्छा गुमान ईमान को क़ुव्वत देता है । ٭ अच्छा गुमान दिल और रूह़ को पाकीज़ा करता है । ٭ अच्छा गुमान इन्सान को नेक बनाता है । ٭ अच्छे गुमान से अल्लाह पाक और उस के मदनी ह़बीब صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ की रिज़ा मिलती है ।
एक बार रसूले अकरम صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने काबे शरीफ़ को मुख़ात़िब कर के इरशाद फ़रमाया : तू ख़ुद और तेरी फ़ज़ा कितनी अच्छी है ! तू कितनी अ़ज़मत वाला है और तेरी इ़ज़्ज़त कितनी अ़ज़ीम है ! उस ज़ाते पाक की क़सम जिस के क़ब्ज़ए क़ुदरत में मुह़म्मद (صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ) की जान है ! अल्लाह पाक के नज़दीक मोमिन की जानो माल और उस से अच्छा गुमान रखने की ह़ुर्मत, तेरी ह़ुर्मत से भी ज़ियादा है । ( ابن ماجہ، ابواب الفتن، باب حرمۃ دم لمؤمن ومالہ ،۴/۳۱۹، حدیث:۳۹۳۲)
नबिय्ये पाक صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ के तबर्रुकात
प्यारी प्यारी इस्लामी बहनो ! सह़ाबए किराम عَلَیْہِمُ الرِّضْوَان इस बात को अच्छी त़रह़ जानते थे कि नबिय्ये पाक صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ सर से पाउं तक रह़मत व बरकत हैं, जो चीज़ भी मेहरबान आक़ा صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ से निस्बत का शरफ़ पा जाती, सह़ाबए किराम عَلَیْہِمُ الرِّضْوَان उसे बरकत वाला समझते थे, इसी लिये सह़ाबए किराम عَلَیْہِمُ الرِّضْوَان कई त़रीक़ों से प्यारे आक़ा صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ से बरकतें पाने की कोशिश करते । आप صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ के वुज़ू के बचे हुवे पानी को बरकत वाला पानी समझते और उस से बरकतें उठाते, जिस पानी