Book Name:Tabarukat Ki Barakaat
वाक़िआ़त, तबर्रुकात की ताज़ीम के फ़ाइदे और तबर्रुकात की बे अदबी के नुक़्सानात सुनेंगी । आइये ! पहले तबर्रुकात की बरकत पर मुश्तमिल एक ईमान ताज़ा करने वाला वाक़िआ़ सुनती हैं । चुनान्चे,
सूरए यूसुफ़ में अल्लाह पाक के मोह़तरम नबी, ह़ज़रते याक़ूब और ह़ज़रते यूसुफ़ عَلَیْہِمَا السَّلَام का वाक़िआ़ बयान हुवा है । जब ह़ज़रते यूसुफ़ عَلَیْہِ السَّلَام को उन के सौतेले भाइयों ने धोके से कुंवें में डाल दिया और कुछ ताजिर उन्हें कुंवें से निकाल कर मिस्र ले गए और वहां बेच दिया, तो ह़ज़रते याक़ूब عَلَیْہِ السَّلَام अपने बेटे ह़ज़रते यूसुफ़ عَلَیْہِ السَّلَام की जुदाई से बड़े ग़मगीन हुवे और इस ग़म में आंसू बहा बहा कर उन की आंखों की रौशनी मुतअस्सिर हो गई, कई साल बाद जब ह़ज़रते यूसुफ़ عَلَیْہِ السَّلَام को अपने भाइयों के ज़रीए़ वालिदे मोह़तरम की आंखों की रौशनी मुतअस्सिर होने का मालूम हुवा, तो उन्हों ने अपनी क़मीसे मुबारक तबर्रुक के त़ौर पर अपने वालिदे मोह़तरम के लिये भेजी और जो कुछ फ़रमाया, क़ुरआने पाक में वोह यूं बयान किया गया है । चुनान्चे, पारह 13, सूरए यूसुफ़ की आयत नम्बर 93 में इरशाद होता है :
اِذْهَبُوْا بِقَمِیْصِیْ هٰذَا فَاَلْقُوْهُ عَلٰى وَجْهِ اَبِیْ یَاْتِ بَصِیْرًاۚ-(پ۱۳،یوسف:۹۳)
तर्जमए कन्ज़ुल इ़रफ़ान : मेरा येह कुरता ले जाओ और इसे मेरे बाप के मुंह पर डाल देना, वोह देखने वाले हो जाएंगे ।
जब ह़ज़रते यूसुफ़ عَلَیْہِ السَّلَام के भाइयों ने वोह कुरता ह़ज़रते याक़ूब عَلَیْہِ السَّلَام के चेहरे पर डाला, तो क्या हुवा ? उसे कुछ आयात के बाद यूं बयान किया गया है :
فَلَمَّاۤ اَنْ جَآءَ الْبَشِیْرُ اَلْقٰىهُ عَلٰى وَجْهِهٖ فَارْتَدَّ بَصِیْرًاۚ-(پ۱۳،یوسف: ۹۶)
तर्जमए कन्ज़ुल इ़रफ़ान : फिर जब ख़ुश ख़बरी सुनाने वाला आया, तो उस ने वोह कुरता याक़ूब के मुंह पर डाल दिया, उसी वक़्त वोह देखने वाले हो गए ।
तफ़्सीरे सिरात़ुल जिनान में लिखा है : जम्हूर (अक्सर) मुफ़स्सिरीन (رَحْمَۃُ اللّٰہ عَلَیْہِمْ اَجْمَعِیْن) फ़रमाते हैं : ख़ुश ख़बरी सुनाने वाले ह़ज़रते यूसुफ़ عَلَیْہِ السَّلَام के भाई यहूदा थे । यहूदा ने कहा : ह़ज़रते याक़ूब عَلَیْہِ السَّلَام के पास ख़ून आलूदा (यानी ख़ून से तर) क़मीस भी मैं ही ले कर गया था, मैं ने ही कहा था कि ह़ज़रते यूसुफ़ عَلَیْہِ السَّلَام को भेड़िया खा गया, मैं ने ही उन्हें ग़मगीन किया था, इस लिये आज कुरता भी मैं ही ले कर जाऊंगा और ह़ज़रते यूसुफ़ عَلَیْہِ السَّلَام की ज़िन्दगी की ख़बर भी मैं ही सुनाऊंगा । चुनान्चे, यहूदा कुरता ले कर 80 फ़र्संग (यानी 240 मील) दौड़ते हुवे आए । यहूदा ने जब ह़ज़रते यूसुफ़ عَلَیْہِ السَّلَام की क़मीस ह़ज़रते याक़ूब عَلَیْہِ السَّلَام के चेहरे पर डाली, तो उसी वक़्त उन की आंखें दुरुस्त हो गईं और कमज़ोरी के बाद क़ुव्वत और ग़म के बाद ख़ुशी लौट आई । फिर ह़ज़रते याक़ूब عَلَیْہِ السَّلَام ने फ़रमाया : मैं ने तुम से न कहा था कि मैं अल्लाह पाक की त़रफ़ से वोह बात जानता हूं जो