Tabarukat Ki Barakaat

Book Name:Tabarukat Ki Barakaat

मक़ामे इब्राहीम से तबर्रुक

          मक़ामे इब्राहीम वोह मुबारक पथ्थर है जिस पर अल्लाह पाक के नबी, ह़ज़रते इब्राहीम عَلَیْہِ السَّلَام ने अपना क़दमे मुबारक रखा, तो जितना टुक्ड़ा उन के मुबारक क़दमों के नीचे आया, गीली मिट्टी की त़रह़ नर्म हो गया, यहां तक कि ह़ज़रते इब्राहीम عَلَیْہِ السَّلَام का क़दमे मुबारक उस में जम गया फिर जब इब्राहीम عَلَیْہِ السَّلَام ने क़दम उठाया, अल्लाह पाक ने दोबारा उस टुक्ड़े में पथ्थर की सख़्ती पैदा कर दी कि वोह निशाने क़दम मह़फ़ूज़ रह गया । (फ़तावा रज़विय्या, 21 / 398, मुलख़्ख़सन)

        रब्बे करीम ने रहती दुन्या के तमाम मुसलमानों को मक़ामे इब्राहीम की ताज़ीम करने और उस का क़ुर्ब पाने और उस के क़रीब (Near) नमाज़ पढ़ने का ह़ुक्म इरशाद फ़रमाया । चुनान्चे, अल्लाह पाक पारह 1, सूरतुल बक़रह की आयत नम्बर 125 में इरशाद फ़रमाता है :

وَ اتَّخِذُوْا مِنْ مَّقَامِ اِبْرٰهٖمَ مُصَلًّىؕ-(پ۱،البقرۃ:۱۲۵)

तर्जमए कन्ज़ुल इ़रफ़ान : और (ऐ मुसलमानो !) तुम इब्राहीम के खड़े होने की जगह को नमाज़ का मक़ाम बनाओ ।

        ह़कीमुल उम्मत, ह़ज़रते मुफ़्ती अह़मद यार ख़ान नई़मी رَحْمَۃُ اللّٰہ عَلَیْہ फ़रमाते हैं : मक़ामे इब्राहीम वोह पथ्थर है जिस पर खड़े हो कर इब्राहीम عَلَیْہِ السَّلَام ने काबे शरीफ़ की तामीर की, वोह भी ह़ज़रते इब्राहीम عَلَیْہِ السَّلَام की बरकत से शआ़इरुल्लाह (अल्लाह पाक की निशानियों में से एक निशानी) बन गया और उस की ताज़ीम ऐसी लाज़िम हो गई कि त़वाफ़ के नफ़्ल उस के सामने खड़े हो कर पढ़ना सुन्नत हो गए । बुज़ुर्गाने दीन رَحْمَۃُ اللّٰہ عَلَیْہِمْ اَجْمَعِیْن के क़दम पड़ जाने से सफ़ा, मरवह और मक़ामे इब्राहीम शआ़इरुल्लाह (अल्लाह पाक की निशानियों में से एक निशानी) बन गए और क़ाबिले ताज़ीम हो गए । (इ़ल्मुल क़ुरआन, स. 48, मुलख़्ख़सन)

          तफ़्सीरे सिरात़ुल जिनान में लिखा है : इस (आयते मुबारका) से मालूम हुवा ! जिस पथ्थर को नबी की क़दम बोसी (क़दमों को चूमने की सआ़दत) ह़ासिल हो जाए, वोह अ़ज़मत वाला हो जाता है । येह भी मालूम हुवा ! जब पथ्थर, नबी के क़दमे मुबारक लगने से अ़ज़मत वाला हो गया, तो ह़ुज़ूर صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ की अज़्वाजे मुत़ह्हरात, अहले बैत और सह़ाबए किराम رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہُمْ की अ़ज़मत का क्या कहना ! (लिहाज़ा) इस से तबर्रुकात की ताज़ीम का भी सुबूत (Proof) मिलता है । (सिरात़ुल जिनान, 1 / 205)

صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!       صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد

बद गुमानी से बचिये

          प्यारी प्यारी इस्लामी बहनो ! औलियाए किराम رَحْمَۃُ اللّٰہ عَلَیْہِمْ اَجْمَعِیْن और अल्लाह पाक के नेक बन्दों से बरकत वाली चीज़ लेने में दिल में कोई शको शुबा नहीं होना चाहिये ।