Tabarukat Ki Barakaat

Book Name:Tabarukat Ki Barakaat

तुम नहीं जानते कि ह़ज़रते यूसुफ़ عَلَیْہِ السَّلَام ज़िन्दा हैं और अल्लाह पाक हमें आपस में मिला देगा । (सिरात़ुल जिनान, 5 / 54, मुलख़्ख़सन, تفسیرکبیر،یوسف،تحت الآیۃ:۹۶، ۶/۵۰۸،جمل مع جلالین،یوسف،تحت الآیۃ: ۹۶، ۴/۸۰، ملتقطاً)

صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!       صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد

          प्यारी प्यारी इस्लामी बहनो ! ग़ौर कीजिये ! ह़ज़रते यूसुफ़ عَلَیْہِ السَّلَام ख़ुद नबी हैं, वोह एक और नबी, अपने वालिद ह़ज़रते याक़ूब عَلَیْہِ السَّلَام की आंखों के मरज़ के लिये तबर्रुक के त़ौर पर अपना कुरता भेज रहे हैं और जब उस कुरते को उन के चेहरे पर डाला गया, तो अल्लाह पाक ने उन्हें आंखों की बीमारी से शिफ़ा अ़त़ा फ़रमा दी । इस से मालूम हुवा ! बुज़ुर्गों से निस्बत रखने वाली चीज़ों को बरकत वाली समझना और उन से बरकतें लेना अम्बियाए किराम عَلَیْہِمُ السَّلَام का त़रीक़ा रहा है और इस वाक़िए़ को क़ुरआने पाक में ज़िक्र फ़रमाना इस बात का एलान है कि तबर्रुकात से फ़ाइदा होता है । आइये ! निस्बत की बरकत पर मुश्तमिल एक ईमान अफ़रोज़ वाक़िआ़ सुनती हैं । चुनान्चे,

क़ह़त साली से नजात मिल गई !

          मश्हूर मुह़द्दिस, ह़ज़रते शैख़ अ़ब्दुल ह़क़ मुह़द्दिसे देहलवी رَحْمَۃُ اللّٰہ عَلَیْہ फ़रमाते हैं : एक मरतबा बारिशों का सिलसिला रुक गया, लोगों की दुआ़ओं के बा वुजूद बारिश न हुई । चुनान्चे, ह़ज़रते निज़ामुद्दीन औलिया رَحْمَۃُ اللّٰہ عَلَیْہ ने अपनी अम्मीजान رَحْمَۃُ اللہِ  عَلَیْہَا के कपड़े का एक धागा हाथ में ले कर अ़र्ज़ की : ऐ अल्लाह पाक ! येह उस ख़ातून के दामन का धागा है जिस पर कभी किसी अजनबी शख़्स की नज़र नहीं पड़ी, मेरे मौला ! इसी धागे के सदके़ रह़मत की बारिश बरसा दे । अभी दुआ़ ख़त्म भी न हुई थी कि रह़मत के बादल छा गए और छमाछम बारिश शुरूअ़ हो गई । (اخبار الاخیار، ص۲۹۴ملخصاً)

तबर्रुकात के फ़वाइद

          प्यारी प्यारी इस्लामी बहनो ! आप ने सुना कि बुज़ुर्गाने दीन رَحْمَۃُ اللّٰہ عَلَیْہِمْ اَجْمَعِیْن के जिस्म से निस्बत रखने वाले लिबास के एक धागे की भी कैसी शान है कि उसे हाथ में रख कर मांगी गई दुआ़ क़बूल हो गई, अल्लाह पाक जो तमाम बरकतों का मालिक है, उस रब्बे करीम ने अपने इन नेक बन्दों को दुन्या जहां की ऐसी बरकतों से नवाज़ा होता है कि जो चीज़े इन से मन्सूब हो जाएं, वोह भी बा बरकत हो जाती हैं ।

          اَلْحَمْدُ لِلّٰہ अम्बियाए किराम عَلَیْہِمُ السَّلَام, सह़ाबए किराम عَلَیْہِمُ الرِّضْوَان और औलियाए किराम رَحْمَۃُ اللّٰہ عَلَیْہِمْ اَجْمَعِیْن से मन्सूब चीज़ें बड़ी बरकत वाली और फै़ज़ पहुंचाने वाली होती हैं, यानी उन मुक़द्दस तबर्रुकात का अदबो एह़तिराम करने वाले ख़ुश नसीब आ़शिक़ाने रसूल को उन तबर्रुकात से ख़ूब फै़ज़ मिलता है । आइये ! सुनती हैं कि तबर्रुक से क्या मुराद है ? चुनान्चे,