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Book Name:Tabarukat Ki Barakaat

बयान कर्दा बातों पर अ़मल करते रहे और उन के अह़कामात की पैरवी करते रहे, तो निहायत सुकून व इत़मीनान से रहे लेकिन जैसे ही उन्हों ने अम्बियाए किराम عَلَیْہِمُ الصَّلٰوۃُ وَالسَّلَام के बताए हुवे अह़कामात से मुंह मोड़ा, ज़िल्लतें और रुस्वाइयां उन का मुक़द्दर बन गईं । अगर ग़ौर किया जाए, तो आज मुसलमानों की भी येही ह़ालत है, सदियों तक मुसलमान दुन्या पर ग़ालिब रहे और हर मैदान में तरक़्क़ी करते रहे लेकिन जब से क़ुरआने करीम के अह़कामात और उस की तालीमात पर अ़मल से दूर होने लगे और नबिय्ये पाक صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ की फ़रमां बरदारी और इस्लामी अह़कामात से मुंह मोड़ा, तो त़रह़ त़रह़ की मुसीबतों और बलाओं में मुब्तला होते गए और आज जो ह़ालत है वोह सब के सामने है ।

          ऐ आ़शिक़ाने रसूल ! अब भी वक़्त है, आज भी अगर हम शरीअ़त पर अ़मल करने वाले बन जाएं, तो मुसीबतों से नजात पा सकते हैं । शरीअ़त पर अ़मल की बरकत से बे सुकूनियां ख़त्म हो सकती हैं, शरीअ़त पर अ़मल की बरकत से नफ़रतों की दीवारें, मह़ब्बतों की फ़ज़ाओं में तब्दील हो सकती हैं । जब हमारी पैदाइश का अस्ल मक़्सद अल्लाह पाक की इ़बादत है और हम शरीअ़त के अह़काम से आज़ाद भी नहीं हैं और हमें क़ियामत के दिन अपने हर अ़मल का ह़िसाब भी देना है, तो उस की इ़बादत से ग़ाफ़िल हो जाना, उस के अह़कामात को कोई अहम्मिय्यत न देना और दुन्या के काम काज में ही मसरूफ़ रहना कहां की अ़क़्लमन्दी है ?

जामिअ़तुल मदीना ऑन लाइन

          तो आइये ! अपनी ज़िन्दगी को बा मक़्सद ज़िन्दगी बनाने और शरीअ़तो सुन्नत पर अ़मल का जे़हन बनाने के लिये आ़शिक़ाने रसूल की मदनी तह़रीक दावते इस्लामी के मदनी माह़ोल से वाबस्ता हो जाइये । اَلْحَمْدُ لِلّٰہ आ़शिक़ाने रसूल की मदनी तह़रीक दावते इस्लामी दीने मतीन के कमो बेश 107 शोबाजात में नेकी की दावत आ़म करने में मसरूफ़ है, इन्ही में से एक शोबा "जामिअ़तुल मदीना ऑन लाइन" भी है । जामिअ़तुल मदीना ऑन लाइन के तह़त 4 साला "दर्से निज़ामी कोर्स" करवाया जाता है, दरजे का दौरानिया रोज़ाना तक़रीबन 1 घन्टा है । शोबा ऑन लाइन कोर्सिज़ के तह़त 30 कोर्सिज़ करवाए जा रहे हैं, जिन में चन्द कोर्सिज़ के नाम और मुख़्तसर तआ़रुफ़ सुनिये ।

Ø  तफ़्सीरे क़ुरआने करीम पर 2 त़रह़ के कोर्सिज़ हैं : (1) तफ़्सीरे सिरात़ुल जिनान जिस में पूरे क़ुरआने करीम की तफ़्सीर "तफ़्सीरे सिरात़ुल जिनान" मुकम्मल पढ़ाई जाती है । इस की मुद्दत तक़रीबन 26 माह है । (2) फै़ज़ाने तफ़्सीर जिस में पूरे क़ुरआने करीम की तफ़्सीर मुख़्तसरन पढ़ाई जाती है । इस की मुद्दत तक़रीबन 92 दिन है ।

Ø  फै़ज़ाने बहारे शरीअ़त कोर्स : इस कोर्स में आ़लिम बनाने वाली किताब "बहारे शरीअ़त" 12 माह में तक़रीबन पूरी पढ़ाई जाती है ।

Ø  फ़िक़्ह व अ़क़ाइद कोर्स : इस कोर्स की मुद्दत भी 12 माह है, इस में अ़क़ाइद व फ़िक़्ह की मुख़्तलिफ़ कुतुब पढ़ाई जातीं और फ़र्ज़ उ़लूम सिखाए जाते हैं ।

 



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