Book Name:Dukhyari Ummat Ki Khairkhuwahi
सुन्नतों भरे इजतिमाअ़ में आने वाला, अल ग़रज़ ! कोई भी इस्लामी भाई किसी दिन न आ सके, तो उस के घर जा कर या कम अज़ कम फ़ोन कर के ही उस की ख़ैरिय्यत तो पूछ ही लिया करें । आइये ! इस बारे में अमीरे अहले सुन्नत, ह़ज़रते अ़ल्लामा मौलाना मुह़म्मद इल्यास अ़त़्त़ार क़ादिरी دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ के मामूलात के बारे में सुनते हैं । चुनान्चे,
अमीरे अहले सुन्नत دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ और उम्मत की ख़ैर ख़्वाही
अमीरे अहले सुन्नत دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ मुसलमानों के साथ ख़ैर ख़्वाही फ़रमाते रहते हैं । आप دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ को जब किसी के बारे में मालूम होता है कि वोह किसी आज़माइश में मुब्तला या बीमार है, तो उस की इ़यादत करते हैं, बीमारों के लिये शिफ़ायाबी और परेशान ह़ालों की परेशानी दूर होने की दुआ़एं करते हैं, किसी मुसलमान के इन्तिक़ाल की ख़बर मिले, तो फ़ोन (Phone) कर के या सौती पैग़ाम के ज़रीए़ उन के रिश्तेदारों से ताज़ियत फ़रमाते हैं, मर्ह़ूम के लिये बख़्शिश व मग़फ़िरत की दुआ़ फ़रमाते हैं, ख़ैर ख़्वाही फ़रमाते हुवे अहले ख़ाना को नेकी की दावत और सब्र के फ़ज़ाइल पर मुश्तमिल मदनी फूलों से नवाज़ते हैं । आप دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ ने जो नेक बनने के त़रीके़ अ़त़ा फ़रमाए हैं, उन में भी इस बात की तरग़ीब दिलाई है । चुनान्चे, त़रीक़ा नम्बर 53 है : क्या आप ने इस हफ़्ते कम अज़ कम एक मरीज़ या दुख्यारे के घर या अस्पताल जा कर सुन्नत के मुत़ाबिक़ ग़म ख़्वारी की ? और उस को तोह़्फ़ा (मक्तबतुल मदीना का शाएअ़ कर्दा रिसाला या पेम्फ़लेट) पेश करने के साथ साथ रूह़ानी इ़लाज का मशवरा दिया ?
अमीरे अहले सुन्नत دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ सिर्फ़ ख़ुद ही मुसलमानों की ख़ैर ख़्वाही नहीं फ़रमाते बल्कि आप دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ से तरबिय्यत पाने वाले भी उम्मते मुस्लिमा की ख़ैर ख़्वाही के जज़्बे से माला माल होते हैं । जैसा कि मह़बूबे अ़त़्त़ार, ह़ाजी ज़मज़म रज़ा अ़त़्त़ारी رَحْمَۃُ اللّٰہ عَلَیْہ के बच्चों की अम्मी का कहना है : मर्ह़ूम को दुख्यारों की ज़रूरिय्यात को पूरा करने और माली मदद करने का बहुत जज़्बा था, ख़ुद तो ग़रीब थे मगर मुख़य्यर इस्लामी भाइयों के ज़रीए़ ज़रूरत मन्दों की माली मुश्किलात ह़ल (Solve) फ़रमा देते और दिखलावे से बचने के लिये इसे छुपाने की भी कोशिश फ़रमाते, मुझ से भी छुपाते, अलबत्ता कभी कभी बाहर से मालूम हो जाता । (मह़बूबे अ़त़्त़ार की 122 ह़िकायात, स. 123, मुलख़्ख़सन)
صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب! صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد
12 मदनी कामों में से एक मदनी काम "मदनी दर्स"
प्यारे प्यारे इस्लामी भाइयो ! मुसलमानों की ख़ैर ख़्वाही का जज़्बा बढ़ाने के लिये आ़शिक़ाने रसूल की मदनी तह़रीक दावते इस्लामी के मदनी माह़ोल से वाबस्ता रहते हुवे ज़ैली ह़ल्के़ के 12 मदनी कामों में बढ़ चढ़ कर ह़िस्सा लीजिये । ज़ैली ह़ल्के़ के 12 मदनी कामों में से रोज़ाना का एक मदनी काम "मदनी दर्स" भी है, जो इ़ल्मे दीन सीखने, सिखाने का बेहतरीन ज़रीआ़ है । अमीरे अहले सुन्नत دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ की चन्द कुतुबो रसाइल के इ़लावा आप دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ की बाक़ी तमाम कुतुबो रसाइल बिल ख़ुसूस "फै़ज़ाने सुन्नत"