Book Name:Madinah Kay Fazail Ma Yaad-e-Madinah
चेहरे पर एक मुठ्ठी दाढ़ी सजा ली है, अल्लाह करीम का मज़ीद करम येह हुवा कि वालिदैन ने ख़ुशी से उन्हें आ़शिक़ाने रसूल की मदनी तह़रीक दा'वते इस्लामी के मदनी कामों के लिये "वक़्फ़े मदीना" कर दिया ।
صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب! صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد
ऐ आ़शिक़ाने औलिया ! आप ने सुना कि मदनी मुज़ाकरा सुनने से कैसी कैसी बरकतें मिलती हैं ! लिहाज़ा सुस्ती भगाइये और अपने काम काज से वक़्त निकाल कर पाबन्दी के साथ हफ़्तावार मदनी मुज़ाकरा सुनने की आ़दत बनाइये । اَلْحَمْدُ لِلّٰہ आ़शिक़ाने रसूल की मदनी तह़रीक दा'वते इस्लामी दुन्या भर में ख़िदमते दीन के कमो बेश 107 शो'बाजात में सुन्नतों की धूमें मचा रही है, जिन में से एक शो'बा "मजलिसे मदनी मुज़ाकरा" भी है । اَلْحَمْدُ لِلّٰہ अमीरे अहले सुन्नत, ह़ज़रते अ़ल्लामा मौलाना मुह़म्मद इल्यास क़ादिरी دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ ने "इ़ल्म बे शुमार ख़ज़ानों का मजमूआ़ है, जिन के ह़ुसूल का ज़रीआ़ सुवाल है" के क़ौल को अ़मली जामा पहनाते हुवे सुवाल व जवाब का एक सिलसिला शुरूअ़ फ़रमाया है, जिसे दा'वते इस्लामी के मदनी माह़ोल में "मदनी मुज़ाकरा" कहा जाता है । आ़शिक़ाने रसूल मदनी मुज़ाकरों में अ़क़ाइदो आ'माल, फ़ज़ाइलो मनाक़िब, शरीअ़तो त़रीक़त, तारीख़ व सीरत, साइन्स व त़िब, अख़्लाक़ियात व इस्लामी मा'लूमात, मुआ़शी, मुआ़शरती व तन्ज़ीमी मुआ़मलात और दीगर बहुत से मौज़ूआ़त (Topics) के बारे में मुख़्तलिफ़ सुवालात करते हैं और अमीरे अहले सुन्नत دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ उन्हें ह़िक्मत से भरपूर और इ़श्के़ रसूल में डूबे हुवे जवाबात से नवाज़ते हैं ।
اَلْحَمْدُ لِلّٰہ मजलिसे मदनी मुज़ाकरा के तह़त अमीरे अहले सुन्नत دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ के इन अ़त़ा कर्दा दिलचस्प और इ़ल्मो ह़िक्मत से भरपूर जवाबात की ख़ुश्बू से दुन्या भर के मुसलमानों को महकाने के लिये इन मदनी मुज़ाकरों को तह़रीरी रिसालों और मेमोरी कार्ड्ज़ (Memory Cards) की सूरत में पेश करने की कोशिशें जारी हैं । अल्लाह करीम मजलिसे मदनी मुज़ाकरा को मज़ीद बरकतें अ़त़ा फ़रमाए । اٰمِیْن بِجَاہِ النَّبِیِ الْاَمِیْن صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّم
صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب! صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد
मदीनए त़य्यिबा के बा बरकत मक़ामात
प्यारे प्यारे इस्लामी भाइयो ! आ़शिक़ाने रसूल का मर्कज़ या'नी मीठा मीठा मदीना सारे का सारा नूर वाला है और आज भी वहां मुख़्तलिफ़ दिलकश मसाजिद और मुक़द्दस मक़ामात अपनी बरकतें लुटा रहे हैं । मश्हूर मुह़द्दिस, ह़ज़रते अ़ल्लामा शैख़ अ़ब्दुल ह़क़ मुह़द्दिसे देहल्वी رَحْمَۃُ اللّٰہ عَلَیْہ ने इ़श्क़ो मस्ती में डूब कर कितनी प्यारी बात कही है कि दिल की नज़र रखने वाले येह जानते हैं कि मक्के मदीने के पहाड़ों और वादियों में किस क़दर नूरानिय्यत ज़ाहिर हो रही है । बेशक इस का सबब येही है कि इन तमाम जगहों (Places)