Madinah Kay Fazail Ma Yaad-e-Madinah

Book Name:Madinah Kay Fazail Ma Yaad-e-Madinah

12 मदनी कामों में से एक मदनी काम "हफ़्तावार मदनी मुज़ाकरा"

          ऐ आ़शिक़ाने रसूल ! ग़मे मदीना में बे क़रार रहने और मदीने की यादों का असीर बनने के लिये आ़शिक़ाने रसूल की मदनी तह़रीक दा'वते इस्लामी के साथ वाबस्ता हो जाइये, अ़मली त़ौर पर ख़िदमते दीन को अपना ओढ़ना बिछौना बना लीजिये और 12 मदनी कामों में ख़ूब बढ़ चढ़ कर ह़िस्सा लीजिये । 12 मदनी कामों में से एक मदनी काम "हफ़्तावार मदनी मुज़ाकरा" भी है । इस मदनी काम के बे शुमार दीनी व दुन्यवी फ़ाइदे हैं : ٭ اَلْحَمْدُ لِلّٰہ मदनी मुज़ाकरे की बरकत से मदीनए पाक व मुस्त़फ़ा जाने रह़मत صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّم के इ़श्क़ की दौलत मिलती है । ٭ मदनी मुज़ाकरे की बरकत से गुनाहों से बचने का ज़ेहन मिलता है । ٭ मदनी मुज़ाकरे की बरकत से इ़ल्मे दीन ह़ासिल होता है । ٭ मदनी मुज़ाकरे की बरकत से दीनी मा'लूमात (Islamic Information) के साथ साथ अख़्लाक़ी तरबिय्यत भी नसीब होती है ।

        اَلْحَمْدُ لِلّٰہ ! कई इस्लामी भाई मदनी मुज़ाकरे की बरकत से अपनी गुनाहों भरी ज़िन्दगी से तौबा कर चुके हैं । आइये ! निय्यत करते हैं कि हम भी हर हफ़्ते मदनी मुज़ाकरा देखने को यक़ीनी बनाएंगे और दूसरे इस्लामी भाइयों को भी मदनी मुज़ाकरा देखने की दा'वत देते रहेंगे, اِنْ شَآءَ اللّٰہ । हफ़्तावार मदनी मुज़ाकरे के इ़लावा मुख़्तलिफ़ मवाक़ेअ़ पर भी मदनी मुज़ाकरों का सिलसिला होता है, मसलन मोह़र्रमुल ह़राम के 10 मदनी मुज़ाकरे, माहे रबीउ़ल अव्वल (बारहवीं शरीफ़) के 12 मदनी मुज़ाकरे, माहे रबीउ़ल आख़िर (ग्यारहवीं शरीफ़) के 11 मदनी मुज़ाकरे, माहे रमज़ान में रोज़ाना 2 मदनी मुज़ाकरे, माहे ज़ुल ह़िज्जतिल ह़राम के 10 मदनी मुज़ाकरे वग़ैरा ।

            12 मदनी कामों में से हफ़्तावार इस मदनी काम "हफ़्तावार मदनी मुज़ाकरा" की तफ़्सीली मा'लूमात जानने के लिये मक्तबतुल मदीना के रिसाले "हफ़्तावार मदनी मुज़ाकरा" का मुत़ालआ़ कीजिये । तमाम ज़िम्मेदाराने दा'वते इस्लामी बिल ख़ुसूस हफ़्तावार मदनी मुज़ाकरा की मजालिस के निगरान व अराकीन तो इस रिसाले का लाज़िमी मुत़ालआ़ फ़रमाएं । येह रिसाला मक्तबतुल मदीना पर दस्तयाब होने के साथ साथ दा'वते इस्लामी की वेबसाइट www.dawateislami.net से भी पढ़ा जा सकता है । आइये ! तरग़ीब के लिये एक मदनी बहार सुनिये और पाबन्दी के साथ मदनी मुज़ाकरे में शिर्कत करने की निय्यत कीजिये । चुनान्चे,

गुनाहों से तौबा कर ली !

          मुल्के अमीरे अहले सुन्नत के एक इस्लामी भाई मुआ़शरे के दीगर नौजवानों की त़रह़ कई अख़्लाक़ी बुराइयों में मुब्तला थे, मसलन फ़िल्में, ड्रामे देखना, खेल, कूद में वक़्त बरबाद करना, मोबाइल और इन्टरनेट में वक़्त ज़ाएअ़ करना उन का पसन्दीदा काम था । एक दिन उन्हें मदनी चेनल पर मदनी मुज़ाकरा देखने की सआ़दत नसीब हुई । اَلْحَمْدُ لِلّٰہ ! मदनी मुज़ाकरा देखने और सुनने की बरकत से उन्हें काफ़ी सुकून मिला और उन्हों ने अपने  पिछले तमाम गुनाहों से तौबा कर ली, फ़राइज़ व वाजिबात पर अ़मल करने में मश्ग़ूल हो गए और