Book Name:Museebaton Per Sabr Ka Zehin Kaisey Banay
बक्वासात करना कोई गुनाह नहीं ? क्या किसी इस्लामी बहन के बारे में कीना (या'नी दिल में दुश्मनी छुपा कर) रखना कोई गुनाह नहीं ?
प्यारी प्यारी इस्लामी बहनो ! यहां सिर्फ़ चन्द गुनाहों को बयान किया गया है, इस के इ़लावा और न जाने कितने गुनाह होते होंगे फिर भी हम कहें कि "आख़िर मुझ से ऐसा कौन सा गुनाह हुवा है जिस की मुझ को सज़ा मिल रही है !" اَلْاَمَان وَالْحَفِیْظ । अल्लाह पाक हमारी ह़ालते ज़ार पर करम फ़रमाए । اٰمِیْن
صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب! صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد
मुसीबतों पर सब्र का ज़ेहन कैसे बने ?
प्यारी प्यारी इस्लामी बहनो ! याद रखिये ! शिक्वे, शिकायात करने और बे सब्री करने से मुसीबत तो जाने से रही, उल्टा सब्र के ज़रीए़ हाथ आने वाला अ़ज़ीम सवाब ज़ाएअ़ हो जाता है, जो ख़ुद एक बहुत बड़ी मुसीबत है । लिहाज़ा मुसीबत चाहे बड़ी हो या छोटी, हमें चाहिये कि हम सब्र का दामन मज़बूत़ी से थामे रहें और ऐसे त़रीके़ इख़्तियार करें जिन की बरकत से बे सब्री से हमारी जान छूट जाए, हम मुसीबतों का मुक़ाबला करने में कामयाब हो जाएं और हमारा शुमार भी मुसीबत पर सब्र और शुक्र करने वाली ख़ुश नसीब इस्लामी बहनों में होने लग जाए । मुसीबतों पर सब्र का ज़ेहन बनाने के लिये चन्द त़रीके़ पेशे ख़िदमत हैं । आइय ! इन्हें तवज्जोह के साथ सुन कर इन पर अ़मल की निय्यत करती हैं ।
मुसीबतों पर सब्र का ज़ेहन बनाने के 8 त़रीके़
﴾1﴿...जब भी कोई मुसीबत व परेशानी आ जाए, हमें घबरा कर रब्बे करीम की बारगाह में रुजूअ़ कर के कसरत से तौबा व इस्तिग़फ़ार करना चाहिये । ज़बान तो ज़बान दिल में भी ऐसी बात नहीं लानी चाहिये कि मैं ने तो किसी को कोई नुक़्सान नहीं पहुंचाया, मैं तो सब के साथ अच्छाई करती हूं, आख़िर "क्या ख़त़ा मुझ से ऐसी हुई है जिस की मुझ को सज़ा मिल रही है !" ऐसी नादानी भरी बातें सोचने के बजाए आ़जिज़ी भरा मदनी ज़ेहन बनाना चाहिये । अपने आप को गुनाहगार तसव्वुर करते हुवे हर ह़ाल में अल्लाह करीम का शुक्र अदा करना चाहिये कि मैं तो गुनाहगार होने की वज्ह से शदीद अ़ज़ाब की ह़क़दार हूं, मुझ पर आई हुई मुसीबत अगर मेरे गुनाहों की सज़ा है, तो मैं बहुत ही सस्ती छूट रही हूं, वरना दुन्या के बजाए आख़िरत में दोज़ख़ की सज़ा मिली, तो मैं कहीं की न रहूंगी ।
﴾2﴿...रसूले अकरम صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ और आप صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ के मुबारक अस्ह़ाब عَلَیْہِمُ الرِّضْوَان पर ढाए जाने वाले ज़ुल्म और आज़माइशों को याद करना भी मुसीबतों पर सब्र का ज़ेहन बनाने में बेह़द मुफ़ीद है । रसूले करीम صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ और आप صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ के अस्ह़ाब عَلَیْہِمُ الرِّضْوَان को किस किस त़रह़ से सताया गया । आइये ! इस की चन्द दर्दनाक झल्कियां मुलाह़ज़ा कीजिये । चुनान्चे,